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Home » हिन्दी » व्याकरण » भाषा

भाषा

Last Updated on September 18, 2022 By Mrs Shilpi Nagpal

Contents

  • 1 भाषा की परिभाषा 
  • 2 भाषा दो मुख्य प्रकार
    • 2.1 मौखिक भाषा
    • 2.2 लिखित भाषा
    • 2.3 सांकेतिक भाषा 
  • 3 भाषा के अन्य विविध रूप
    • 3.1 (1) बोलियाँ 
    • 3.2 (2) परिनिष्ठित भाषा
    • 3.3 (3) राष्ट्र्भाषा
    • 3.4 (4) मातृभाषा
    • 3.5 (5) प्रादेशिक भाषा
    • 3.6 (6) अन्तर्राष्ट्रीय भाषा
    • 3.7 (7) राजभाषा

भाषा की परिभाषा 

सरल शब्दों में भाषा वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं 

दूसरे शब्दों में भाषा वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित अथवा कथित रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावो को समझ सके उदाहरण के तौर पे आदिमानव अपने मन के भाव एक-दूसरे को समझाने व समझने के लिए संकेतों का सहारा लेते थे, परंतु संकेतों में पूरी बात समझा पाना बहुत कठिन था। उस समय आपको अपनी बात समझाने में बहुत कठिनाई होती होगी। इस असुविधा को दूर करने के लिए उसने अपने मुख से निकली ध्वनियों को मिलाकर शब्द बनाने आरंभ किए और शब्दों के मेल से भाषा बनी।

भाषा दो मुख्य प्रकार

  1. मौखिक भाषा
  2. लिखित भाषा

मौखिक भाषा

भाषा के जिस रूप से हम अपने विचार एवं भाव बोलकर प्रकट करते हैं अथवा दूसरों के विचार अथवा भाव सुनकर ग्रहण करते हैं, उसे मौखिक भाषा कहते हैं। सरल भाषा में आमने-सामने बैठे व्यक्ति परस्पर बातचीत करते हैं अथवा कोई व्यक्ति भाषण आदि द्वारा अपने विचार प्रकट करता है तो उसे भाषा का मौखिक रूप कहते हैं 

maukhik bhasha                                       maukhik bhasha

लिखित भाषा

भाषा के जिस रूप से हम अपने विचार एवं भाव लिखकर प्रकट करते हैं अथवा दूसरों के विचार अथवा भाव पढ़कर ग्रहण करते हैं, उसे लिखित भाषा कहते हैं। सरल भाषा में जब व्यक्ति किसी दूर बैठे व्यक्ति को पत्र द्वारा अथवा पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं में लेख द्वारा अपने विचार प्रकट करता है तब उसे भाषा का लिखित रूप कहते हैं।

likhit bhasha                                           likhit bhasha

कुछ विद्वान भाषा का एक अन्य रूप भी मानते हैं ‘सांकेतिक भाषा’ अर्थात इशारों की भाषा।

सांकेतिक भाषा 

भाषा के जिस रूप से हम अपने विचार एवं भाव संकेत द्वारा प्रकट करते हैं अथवा दूसरों के विचार अथवा भाव संकेत द्वारा ग्रहण करते हैं, उसे सांकेतिक भाषा कहते हैं। जैसे – चौराहे पर खड़ा यातायात नियंत्रित करता सिपाही, मूक-बधिर व्यक्तियों का वार्तालाप, हाथ दिखाकर किसी को रुकने के संकेत देना आदि।


भाषा के अन्य विविध रूप

हर देश में भाषा के तीन रूप मिलते है-

(1) बोलियाँ (2) परिनिष्ठित भाषा (3) राष्ट्र्भाषा

(1) बोलियाँ 

जिन स्थानीय बोलियों का प्रयोग साधारण अपने समूह या घरों में करती है, उसे बोली (dialect) कहते है।

किसी भी देश में बोलियों की संख्या अनेक होती है। ये घास-पात की तरह अपने-आप जन्म लेती है और किसी क्षेत्र-विशेष में बोली जाती है। जैसे-  पंजाबी, मगही,अवधी, भोजपुरी, मराठी, तेलगु,आदि।

(2) परिनिष्ठित भाषा

यह व्याकरण से नियन्त्रित होती है। इसका प्रयोग शिक्षा, शासन और साहित्य में होता है। बोली को जब व्याकरण से परिष्कृत किया जाता है, तब वह परिनिष्ठित भाषा बन जाती है। खड़ीबोली कभी बोली थी, आज परिनिष्ठित भाषा बन गयी है, जिसका उपयोग भारत में सभी स्थानों पर होता है। जब भाषा व्यापक शक्ति ग्रहण कर लेती है, तब आगे चलकर राजनीतिक और सामाजिक शक्ति के आधार पर राजभाषा या राष्टभाषा का स्थान पा लेती है। ऐसी भाषा सभी सीमाओं को लाँघकर अधिक व्यापक और विस्तृत क्षेत्र में विचार-विनिमय का साधन बनकर सारे देश की भावात्मक एकता में सहायक होती है। भारत में पन्द्रह विकसित भाषाएँ है, पर हमारे देश के राष्ट्रीय नेताओं ने हिन्दी भाषा को ‘राष्ट्रभाषा’ (राजभाषा) का गौरव प्रदान किया है। इस प्रकार, हर देश की अपनी राष्ट्रभाषा है- रूस की रूसी, फ्रांस की फ्रांसीसी, जर्मनी की जर्मन, जापान की जापानी आदि।

(3) राष्ट्र्भाषा

जब कोई भाषा किसी राष्ट्र के अधिकांश प्रदेशों के बहुमत द्वारा बोली व समझी जाती है, तो वह राष्टभाषा बन जाती है।
दूसरे शब्दों में- वह भाषा जो देश के अधिकतर निवासियों द्वारा प्रयोग में लाई जाती है, राष्ट्रभाषा कहलाती है।सभी देशों की अपनी-अपनी राष्ट्रभाषा होती है; जैसे -ब्रिटैन -अंग्रेजी, जर्मनी -जर्मन, जापान-जापानी, चीन-चीनी, रूस-रूसी इत्यादि।

भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी है। यह लगभग 75  प्रतिशत लोगों द्वारा प्रयोग में लाई जाती है।

(4) मातृभाषा

मातृभाषा- रमन शर्मा का जन्म हिंदीभाषी परिवार में हुआ है, इसलिए वह हिंदी बोलती है। मनमीत सिंह का जन्म पंजाबी भाषी परिवार में हुआ है, इसलिए वह पंजाबी बोलता है। हिंदी व पंजाबी क्रमशः उनकी मातृभाषाएँ हैं। इस प्रकार वह भाषा जिसे बालक अपने परिवार से अपनाता व सीखता है, मातृभाषा कहलाती है। आसान शब्दों में – बालक जिस परिवार में जन्म लेता है, उस परिवार के सदस्यों द्वारा बोली जाने वाली भाषा वह सबसे पहले सीखता है। यही ‘मातृभाषा’ कहलाती है।

(5) प्रादेशिक भाषा

प्रादेशिक भाषा- जब कोई भाषा एक प्रदेश में बोली जाती है तो उसे ‘प्रादेशिक भाषा’ कहते हैं। जैसे पंजाब में आम तौर पे पंजाबी बोली जाती है।

(6) अन्तर्राष्ट्रीय भाषा

अन्तर्राष्ट्रीय भाषा- जब कोई भाषा विश्व के दो या दो से अधिक राष्ट्रों द्वारा बोली जाती है तो वह अन्तर्राष्ट्रीय भाषा बन जाती है। जैसे- अंग्रेजी (इंग्लिश) अन्तर्राष्ट्रीय भाषा है।

(7) राजभाषा

राजभाषा- वह भाषा जो देश के कार्यालयों व राज-काज में प्रयोग की जाती है, राजभाषा कहलाती है।

जैसे – भारत की राजभाषा अंग्रेजी तथा हिंदी दोनों हैं। चीन की राजभाषा चीनी है।

Filed Under: व्याकरण, हिन्दी

About Mrs Shilpi Nagpal

Author of this website, Mrs. Shilpi Nagpal is MSc (Hons, Chemistry) and BSc (Hons, Chemistry) from Delhi University, B.Ed. (I. P. University) and has many years of experience in teaching. She has started this educational website with the mindset of spreading free education to everyone.

Reader Interactions

Comments

  1. Abhilash Kumar says

    January 25, 2023 at 9:42 am

    Wonderful work Shilpi. Content is really good and easy to understand. Keep working like this success will soon came to you.

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