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Home » हिन्दी » व्याकरण » भाषा

भाषा

Last Updated on July 3, 2023 By Mrs Shilpi Nagpal

Contents [hide]

  • 1 भाषा की परिभाषा 
    • 1.1 भाषा के भेद
    • 1.2 मौखिक भाषा
    • 1.3 लिखित भाषा
    • 1.4 सांकेतिक भाषा 
    • 1.5 लिपि
  • 2 व्याकरण
  • 3 भाषा के कुछ अन्य रुप 
    • 3.1 (4) प्रादेशिक भाषा
    • 3.2 (5) अन्तर्राष्ट्रीय भाषा
    • 3.3 (1) राष्ट्र्भाषा
    • 3.4 (2) मातृभाषा
    • 3.5 (3) राजभाषा
    • 3.6 (4) प्रादेशिक भाषा
    • 3.7 (5) अन्तर्राष्ट्रीय भाषा

भाषा की परिभाषा 

भाषा वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं।

भाषा वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित अथवा कथित रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावो को समझ सके।

जब हम अपने विचारों को लिखकर या बोलकर प्रकट करते हैं और दूसरों के विचारों को सुनकर या पढकर ग्रहण करते हैं, उसे भाषा कहते हैं।

आदिमानव अपने मन के भाव एक-दूसरे को समझाने व समझने के लिए संकेतों का सहारा लेते थे, परंतु संकेतों में पूरी बात समझा पाना बहुत कठिन था। उस समय आपको अपनी बात समझाने में बहुत कठिनाई होती होगी। इस असुविधा को दूर करने के लिए उसने अपने मुख से निकली ध्वनियों को मिलाकर शब्द बनाने आरंभ किए और शब्दों के मेल से भाषा बनी।

संस्कृत भाषा को हिंदी भाषा की जननी माना जाता है।भाषा शब्द को संस्कृत की ‘भाष‘ धातु से लिया गया है।

भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं; जैसे-हिंदी, संस्कृत, पंजाबी, उर्दू, कश्मीरी, बंगला, उड़िया, तेलुगु, असमिया, सिंधी, गुजराती, बोडो, डोगरी, मैथिली, कन्नड़, संथाली, मणिपुरी, कोंकणी, संथाली, मलयालम, नेपाली, मराठी। इस प्रकार अब भारत में निम्नलिखित 22 (बाईस) भाषाएँ प्रचलित हैं।

भाषा के भेद

1) मौखिक भाषा

2) लिखित भाषा

मौखिक भाषा

भाषा के जिस रूप से हम अपने विचार एवं भाव बोलकर प्रकट करते हैं अथवा दूसरों के विचार अथवा भाव सुनकर ग्रहण करते हैं, उसे मौखिक भाषा कहते हैं।

आमने-सामने बैठे व्यक्ति परस्पर बातचीत करते हैं अथवा कोई व्यक्ति भाषण आदि द्वारा अपने विचार प्रकट करता है तो उसे भाषा का मौखिक रूप कहते हैं।

जैसे – नाटक, फिल्म, समाचार सुनना, संवाद, भाषण आदि।

maukhik bhasha maukhik bhasha

                               

लिखित भाषा

भाषा के जिस रूप से हम अपने विचार एवं भाव लिखकर प्रकट करते हैं अथवा दूसरों के विचार अथवा भाव पढ़कर ग्रहण करते हैं, उसे लिखित भाषा कहते हैं।

जब व्यक्ति किसी दूर बैठे व्यक्ति को पत्र द्वारा अथवा पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं में लेख द्वारा अपने विचार प्रकट करता है तब उसे भाषा का लिखित रूप कहते हैं।

जैसे – ग्रन्थ, पुस्तकें, अख़बार, पत्र-पत्रिकाएँ आदि।

likhit bhasha likhit bhasha

                                        

सांकेतिक भाषा 

कुछ विद्वान भाषा का एक अन्य रूप भी मानते हैं ‘सांकेतिक भाषा’ अर्थात इशारों की भाषा।

भाषा के जिस रूप से हम अपने विचार एवं भाव संकेत द्वारा प्रकट करते हैं अथवा दूसरों के विचार अथवा भाव संकेत द्वारा ग्रहण करते हैं, उसे सांकेतिक भाषा कहते हैं।

जैसे – चौराहे पर खड़ा यातायात नियंत्रित करता सिपाही, मूक-बधिर व्यक्तियों का वार्तालाप, हाथ दिखाकर किसी को रुकने के संकेत देना आदि।

बोलियाँ

जिन स्थानीय बोलियों का प्रयोग साधारण अपने समूह या घरों में करती है, उसे बोली कहते है।

सीमित क्षेत्रों में बोली जाने वाली भाषा के रूप को बोली कहा जाता है ।

किसी भी देश में बोलियों की संख्या अनेक होती है। बोली का कोई लिखित रूप नहीं होता।बोली भाषा का स्थानीय रूप होती है।भाषा व्याकरणिक नियमों से बंधी होती है, लेकिन बोली स्वतंत्र होती है।बोली को लिख नहीं सकते इसलिए इसका साहित्य मौखिक होता है ।

जैसे –  उत्तर प्रदेश की बोली अवधी है, बिहार की भोजपुरी और मैथिलि, हरियाणा में हरियाणवी, राजस्थान में राजस्थानी, मारवाड़ी और गुजरात में गुजराती बोली बोली जाती है।

लिपि

किसी भाषा को लिखने के लिए जिन चिन्हों की जरूरत होती है, उन चिन्हों को लिपि कहते है। लिपि भाषा का लिखित रूप होता है। इसके माध्यम से मौखिक रूप की ध्वनियों को लिखकर प्रकट किया जाता है।

भाषा लिपि
हिंदी, संस्कृत, मराठी देवनागरी
पंजाबी गुरुमुखी
उर्दू, फ़ारसी फ़ारसी
अरबी अरबी
बंगला बंगला
रूसी रूसी
अंग्रेज़ी, जर्मन, फ्रेंच, स्पेनिश रोमन

व्याकरण

मनुष्य मौखिक एवं लिखित भाषा में अपने विचार प्रकट कर सकता है और करता रहा है किन्तु इससे भाषा का कोई निश्चित एवं शुद्ध स्वरूप स्थिर नहीं हो सकता। भाषा के शुद्ध और स्थायी रूप को निश्चित करने के लिए नियमबद्ध योजना की आवश्यकता होती है और उस नियमबद्ध योजना को हम व्याकरण कहते हैं।

 भाषा को शुद्ध रूप में लिखना, पढ़ना और बोलना सिखाने वाला शास्त्र व्याकरण कहलाता है।

जिसके द्वारा हमें भाषा की शुद्धियों और अशुद्धियों का ज्ञान होता है, वह व्याकरण कहलाता है।

भाषा के कुछ अन्य रुप 

(1) राष्ट्र्भाषा

(2) मातृभाषा

(3) राजभाषा

(4) प्रादेशिक भाषा

(5) अन्तर्राष्ट्रीय भाषा

(6) मानक (परिनिष्ठित) भाषा 

(1) राष्ट्र्भाषा

जब कोई भाषा किसी राष्ट्र के अधिकांश प्रदेशों के बहुमत द्वारा बोली व समझी जाती है, तो वह राष्टभाषा बन जाती है।

दूसरे शब्दों में- वह भाषा जो देश के अधिकतर निवासियों द्वारा प्रयोग में लाई जाती है, राष्ट्रभाषा कहलाती है।सभी देशों की अपनी-अपनी राष्ट्रभाषा होती है

जैसे – ब्रिटैन -अंग्रेजी, जर्मनी -जर्मन, जापान-जापानी, चीन-चीनी, रूस-रूसी इत्यादि।

भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी है। यह लगभग 75 प्रतिशत लोगों द्वारा प्रयोग में लाई जाती है।

(2) मातृभाषा

रमन शर्मा का जन्म हिंदी भाषी परिवार में हुआ है, इसलिए वह हिंदी बोलती है। मनमीत सिंह का जन्म पंजाबी भाषी परिवार में हुआ है, इसलिए वह पंजाबी बोलता है। हिंदी व पंजाबी उनकी मातृभाषाएँ हैं। 

इस प्रकार वह भाषा जिसे बालक अपने परिवार से अपनाता व सीखता है, मातृभाषा कहलाती है। 

आसान शब्दों में – बालक जिस परिवार में जन्म लेता है, उस परिवार के सदस्यों द्वारा बोली जाने वाली भाषा वह सबसे पहले सीखता है। यही ‘मातृभाषा’ कहलाती है।

(3) राजभाषा

वह भाषा जो देश के कार्यालयों व राज-काज में प्रयोग की जाती है, राजभाषा कहलाती है।

जिस भाषा का प्रयोग किसी देश में सरकारी काम की भाषा के रूप में होता है, उसे राजभाषा कहते हैं।

जैसे – भारत की राजभाषा हिंदी है और अंग्रेजी हमारी सह-राजभाषा है। चीन की राजभाषा चीनी है।

(4) प्रादेशिक भाषा

प्रादेशिक भाषा से मतलब किसी प्रदेश की भाषा से है। प्रादेशिक भाषा के लिए एक राज्य होना जरुरी है।जब कोई भाषा एक प्रदेश में बोली जाती है तो उसे ‘प्रादेशिक भाषा’ कहते हैं।

सिंधी और संस्कृत प्रादेशिक भाषा में नहीं आती हैं क्योंकि इनका अपना प्रदेश नहीं है। हिमाचल प्रदेश, हरयाणा, दिल्ली, उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड इन दस राज्यों की भाषा प्रादेशिक है, यहाँ हिंदी समझी जाती है। पंजाब में पंजाबी बोली जाती है।

(5) अन्तर्राष्ट्रीय भाषा

जब कोई भाषा विश्व के दो या दो से अधिक राष्ट्रों द्वारा बोली जाती है तो वह अन्तर्राष्ट्रीय भाषा बन जाती है।

जिस भाषा के माध्यम से संसार के विभिन्न राष्ट्र विचारों का आदान-प्रदान करते हैं उसे अन्तर्राष्ट्रीय भाषा कहते हैं।

जैसे- अंग्रेजी (इंग्लिश) अन्तर्राष्ट्रीय भाषा है।जर्मनी, फ्रेंच, रूसी तथा चीनी भाषाएँ भी अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की भाषाएँ हैं लेकिन इनका प्रयोग अंग्रेजी भाषा की अपेक्षा बहुत सीमित है।

(6) मानक (परिनिष्ठित) भाषा 

मानक भाषा से आशय ऐसी भाषा से है जो सभी जगह मान्य हो। इसका प्रयोग करने पर विचारों या भावों को स्पष्टतया आसान ढंग से ग्रहण कर सके, समझने में किसी प्रकार की कठिनाई न हो, ऐसी भाषा को मानक भाषा कहा जाता है।

मानक भाषा उस भाषा को कहते हैं जो एक निश्चित पैमाने के अनुसार लिखी या बोली जाती हैं।

मानक हिंदी, हिंदी भाषा का ही मानक रूप होता है। इसे शिक्षा, कार्यालयीन कामों में प्रयोग किया जाता है। हम जानते हैं की भाषा का क्षेत्र काल और पात्र की दृष्टि से व्यापक होता है। सभी भाषाओँ के विविध रूप को मानक कहते हैं।

Filed Under: व्याकरण, हिन्दी

About Mrs Shilpi Nagpal

Author of this website, Mrs. Shilpi Nagpal is MSc (Hons, Chemistry) and BSc (Hons, Chemistry) from Delhi University, B.Ed. (I. P. University) and has many years of experience in teaching. She has started this educational website with the mindset of spreading free education to everyone.

Reader Interactions

Comments

  1. Abhilash Kumar says

    January 25, 2023 at 9:42 am

    Wonderful work Shilpi. Content is really good and easy to understand. Keep working like this success will soon came to you.

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