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Home » NCERT Solutions » Class 10 » हिन्दी » NCERT Solutions for Class 10 हिन्दी – क्षितिज – Chapter 8 – कन्यादान

NCERT Solutions for Class 10 हिन्दी – क्षितिज – Chapter 8 – कन्यादान

Last Updated on February 16, 2023 By Mrs Shilpi Nagpal

क्षितिज – काव्य खंड – कन्यादान – ऋतुराज 

पेज नम्बर : 51

प्रश्न अभ्यास

प्रश्न  1. आपके विचार से माँ ने ऐसा क्‍यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई देना?

उत्तर – कोमलता, सरलता, दयालुता तथा धैर्य आदि स्त्री जाति के ऐसे गुण हैं, जिनके दृढ़ आधार पर ‘घर’ की बुनियाद टिकी होती है। अतः माँ चाहती है कि उसकी बेटी ये गुण कभी न छोड़े इसलिए उसने कहा “लड़की होना’, किंतु माँ बेटी को लड़की जैसी दिखाई देने से मना करती है, क्योंकि

(i) इन गुणों को उसकी कमजोरी मानकर ससुराल वाले उसका शोषण कर सकते हैं।
(ii) माँ का जीवनानुभव यह मानता है कि लड़की जैसी दिखने पर ही उस पर अत्याचार किए जा सकते हैं।
(iii) वह अपनी बेटी को जीवन की वास्तविकता से परिचित कराकर उसे साहसी बनाना चाहती है।

प्रश्न  2. “आग रोटियों सेंकने के लिए है, जलने के लिए नहीं”
(क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है?
(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना क्‍यों ज़रूरी समझा?

उत्तर – (क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की उस स्थिति की ओर संकेत किया गया है, जब लड़की को दहेज के लिए जलाकर मार दिया जाता है। आग रोटी सेंकने के लिए होती है, जलाने के लिए नहीं। कई बार लड़कियाँ इतनी पीड़ित और दुखी हो जाती हैं कि वे स्वयं को आग लगाकर आत्महत्या तक कर लेती हैं।



(ख) आजकल आए दिन इतनी घटनाएँ देखने और सुनने को मिलती हैं कि अमुक लड़की ने आग लगाकर आत्महत्या कर ली या अमुक लड़की को ससुरालवालों ने जलाकर मार डाला। माँ ने बेटी को सचेत करना ज़रूरी समझा, ताकि वह ऐसी स्थिति होने पर साहसपूर्वक मुकाबला कर सके और कभी भी जीवन से पलायन का मार्ग न अपनाए। माँ अपनी बेटी का भविष्य सुरक्षित चाहती है अतः ससुराल में होने वाले अत्याचारों से बचाने के लिए सचेत करना आवश्यक समझती है। अपनी शिक्षा के माध्यम से माँ साया बनकर बेटी के साथ रहना चाहती है।

प्रश्न  3 . ‘पाठिका थी वह धुँधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की’

इन पंक्तियों को पढ़कर लड़की की जो छवि आपके सामने उभरकर आ रही है, उसे शब्दबद्ध कीजिए।

उत्तर – कविता की इन पंक्तियों से लड़की की निम्नलिखित छवि उभर कर सामने आती है

(i) वह आदर्शवादी है तथा जीवन की सच्चाइयों से अनजान है।

(ii) वह अभी कम उम्र की पढ़ने वाली छात्रा ही है।

(iii) वह अपने भावी जीवन की कल्पनाओं में खोई हुई है तथा वास्तविकता से अपरिचित है।

(iv) उसे विवाह के पश्चात के सुखद फलों का अहसास रे है पर उन कटु सत्यों का झान नहीं है जो उसे बंधन में बॉँधकर गुलाम बना सकते हैं। 

प्रश्न  5. मा को अपनी बेटी “अंतिम पूँजी” क्यों लग रही थी?

उत्तर – माँ को अपनी पुत्री अंतिम पूँजी” लग रही थी क्योंकि –

(i) पुत्री माँ के सबसे निकट तथा सुख-दुख की साथिन होती है।

(ii) स्त्री जीवन से जुड़ी समस्याओं पर वह बेटी के साथ ही बातचीत कर सकती है।

(iii) विवाह से पहले व अपनी माँ से दुख-सुख बाँटती थी, किंतु अब बेटी से बॉटती है। अत्तः बेटी का जाना माँ के लिए “अंतिम पूँजी’ है।

प्रश्न  8. मौं ने बेटी को क्या-क्या सीख दी?

उत्तर – माँ ने बेटी को निम्नलिखित सीख दी

(i) आदर्शवादी बहू-पत्नी-मौं तथा निरीह नारी के स्थान पर यथार्थवादी बने।
(ii) अपने रूप-सौंदर्य पर कभी घमंड न करे।
(iii) आग रोटियाँ सेंकने के लिए है, जलने के लिए नहीं।
(iv) वस्त और आभूषण केवल शब्दों के भ्रम हैं, इनके भुलावे में न आए व उन्हें अपने जीवन का बंधन न बनाए।
(v) उसमें लड़कियों के सभी गुण होने चाहिए, लेकिन वह कायर और शारीरिक रूप से कमज़ोर न बने।
(vi) घरेलू जिम्मेदारियाँ सेंभालते हुए सुघड़ गृहिणी की भूमिका निभाएं, किंतु अपनी सुरक्षा पर आँच न आने दे।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न  6. आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहीं तक उचित है?

उत्तर – मेरी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना उचित नहीं है। वर्तमान समय में जब हम लड़का-लड़की में कोई अंतर नहीं समझते, हम लड़की को भी वे सब सुविधाएँ देते हैं, जो लड़कों को दी जाती हैं, तो कन्या को दान करने की बात कहाँ रह जाती है। आज हर माता-पिता कन्या के सुंदर भविष्य की कामना करते हैं इसलिए वे उसे इस काबिल बना देते हैं कि उसका अपना अस्तित्व हो।

पाठेतर सक्रियता

स्त्री को सौंदर्य का प्रतिमान बना दिख जाना ही उसका बंधन बन जाता है? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए ।

उत्तर – हमारे समाज में स्त्रियों को सौंदर्य का प्रतिमान बना दिया जाता है। समाज में उसी नारी की प्रशंसा होती है, जो लज्जाशील तथा शर्मीली हो। यही उसके आभूषण माने जाते हैं, जबकि सज्जा और शर्मीलापन ये नारी की स्क्‍तंत्रता के बंधन हैं। नारी का व्यक्तित्व इन बंधनों में जकड़कर रह जाता है। वहीं नारी जब इन बंयनं का त्याव कर देती है, तो उसका व्यक्तित्व निखर उठता है।

यहाँ अफगानी कवियत्री किश्वर कमाल की कविता की कुछ पंवितयाँ दी जा रही हैं। क्‍या आपको कन्यादान कविता से इसका कोई संबंध दिखाई देता है? में लौटूँगी नहीं

मैं एक जगी हुई स्त्री हैं
मैंने
अपनी राह देख ली है

अब मैं लौटूँगी नहीं
मैंने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं
सोने के गहने तोड़कर फेंक दिए हैं
भाइयो! मैं अब वह नहीं हूँ जो पहले थी
मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ
मैंने अपनी राह देख ली है।
अब मैं लौटूँगी नहीं।

उत्तर – कवि ऋतुराज की कविता ‘कन्यादान’ और कवयित्री मीना किश्वर कमाल की कविता “मैं लौटूँगी नहीं” में शैलीगत अंतर है। कथ्य के धरातल पर दोनों ही कविताओं में लड़की के पारंपरिक रूप को नकारा गया है। आज की लड़की बंधन व अनावश्यक परंपराओं में विश्वास नहीं करती इसलिए दोनों कविताओं का कथ्य व उद्देश्य समान है।

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Filed Under: Class 10, NCERT Solutions, हिन्दी

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