• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar

Class Notes

  • Home
  • Class 1-5
  • Class 6
  • Class 7
  • Class 8
  • Class 9
  • Class 10
  • Class 11
  • Class 12
  • NCERT Solutions
Home » NCERT Solutions » Class 10 » हिन्दी » NCERT Solutions for Class 10 हिन्दी – कृतिका – Chapter 2 – जॉर्ज पंचम की नाक

NCERT Solutions for Class 10 हिन्दी – कृतिका – Chapter 2 – जॉर्ज पंचम की नाक

Last Updated on February 16, 2023 By Mrs Shilpi Nagpal

कृतिका – जॉर्ज पंचम की नाक – कमलेश्वर

पेज नम्बर : 15

प्रश्न अभ्यास

प्रश्न 1.  सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगवाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है, वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है?

उत्तर – सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर जो चिंता और बदहवासी दिखाई देती है, वह उनकी गुलाम मानसिकता, स्वार्थ पूर्ति की इच्छा और विदेशी मोह को दर्शाती है। अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी प्राप्त करने के बाद भी सत्ता से जुड़े लोग औपनिवेशिक दौर की मानसिकता के शिकार हैं। कानूनी तौर पर भारत के आजाद हो जाने पर भी वे मानसिक रूप से उनके गुलाम बने हुए हैं। भारत को गुलाम बनाने वालों की नाक, उन्हें अपनी नाक से भी अधिक प्रिय है। सरकारी तंत्र जॉर्ज पंचम की नाक न होने से स्वयं को असुरक्षित महसूस करता है। अधिकारियों को भय है कि यदि जॉर्ज पंचम की नाक मुद्दा बन गई, तो उन लोगों की पदोन्नति रुक सकती है, उन्हें स्थानांतरित किया जा सकता है। वे खुद को खतरे में नहीं डाल सकते। भारतीयों में विदेशी वस्तुओं के प्रति आकर्षण होता है। वे भारत व भारतीयों से अधिक महत्व विदेश व विदेशियों को देते हैं। जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर की गई चिंता भी विदेशी रानी के आगमन पर ही जताई गई है।

प्रश्न 2. रानी एलिज़ाबेथ के दरज़ी की परेशानी का क्‍या कारण था? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएँगे।

उत्तर – रानी के दरजी की परेशानी थी कि हिंदुस्तान, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर रानी कब क्या पहनेंगी? उसे यह भी ध्यान रखना था कि रानी की इज़्ज़त में किसी तरह की कोई कमी न आए। रानी की आन-बान के साथ-साथ उसकी जीविका भी जुड़ी हुई थी। रानी स्वदेश छोड़कर दूसरे देशों के दौरे पर जा रही थीं। वहाँ जाकर क्‍या पहना जाएँ यह चुनाव जरुरी था। वेशभूषा ऐसी हो जिससे रानी के पद की गरिमा झलके। वहाँ के लोग उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हों। रानी की वेशभूषा में किसी तरह की कोई कमी न रह जाए इसलिए दरजी की परेशानी अपनी जगह बिलकुल ठीक है।

प्रश्न 3. “और देखते ही देखते नई दिल्ली का काया पलट होने लगा’-नई दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे ?

उत्तर – नई दिल्ली के काया पलट के लिए निम्नलिखित प्रयत्न किए गए होंगे –

(i) सार्वजनिक तथा ऐतिहासिक स्थलों को साफ-सुथरा किया गया होगा।
(ii) सरकारी इमारतों को रंगा तथा सजाया-सँवारा गया होगा।
(iii) सरकारी भवनों पर बिजलियों का प्रकाश किया गया होगा।
(iv) फव्वारों की सफ़ाई की गई होगी। काफ़ी समय से बंद पड़े फव्वारे भी चलाए गए होंगे।
(v) जगह-जगह सुरक्षा का प्रबंध किया गया होगा।
(vi) सड़कों की सफ़ाई की गई होगी तथा टूटी-फूटी सड़कों की मरम्मत करवाई होगी।
(vii) राजपथ पर पौधे लगाए गए होंगे तथा बाग-बगीचों में हरियाली के प्रबंध किए गए होंगे।

प्रश्न 4. आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है –

(क) इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्‍या विचार हैं?
(ख) इस प्रकार की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है?

उत्तर –  (क) इस प्रकार की पत्रकारिता से ज्ञान-वर्धन नहीं होता, केवल मनोरंजन होता है। हर देश में वही फैशन प्रसिद्ध हो जाता है, जिसे बड़े-बड़े खिलाड़ी या नायक-नायिकाएँ धारण करते हैं। आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल रहा है। यह स्वाभाविक भी है, फिर भी इन्हें मुख्य-पृष्ठ पर न छापकर मनोरंजन-परिशिष्ट के अंतर्गत ही छापना चाहिए। पहले पृष्ठ पर मुख्य समाचारों को ही छापना चाहिए, जिससे सभी जागरूक हो सकें।

(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर गहरा प्रभाव डालती है। आम जनता भोली-भाली तथा सादा जीवन व्यतीत करती है। ऐसी पत्रकारिता या तो उनमें हीनभावना जाग्रत करती है या युवा वर्ग अपनी पढ़ाई से विमुख हो फ़ैशन में ज़्यादा रुचि लेने लगता है। वह प्रदर्शन की भावना को अधिक महत्त्व देने लग जाता है तथा अपने लक्ष्य से भटक जाता है।

प्रश्न 5. जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए?

उत्तर – मूर्तिकार ने सर्वप्रथम यह जानना चाहा कि लाट कब तथा कहाँ बनी। इसे बनाने में पत्थर कहाँ से लाया गया। इस हेतु सरकारी फाइलों की छानबीन की गई। मूर्तिकार पत्थर की तलाश में हिंदुस्तान के हर पहाड़ पर गया, पर उसे वैसा पत्थर कहीं नहीं मिला। उसने सुझाव दिया कि देश में अपने नेताओं की मूर्तियों में से वह नाक उतार ली जाए, जो जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर ठीक बैठे। मूर्तिकार के पास नाक का नाप था। उसने सारे देश की मूर्तियों का अवलोकन किया, पर सबकी नाक जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी निकली। बिहार सेक्रेटेरिएट के सामने लगी सन् 1942 में शहीद होने वाले बच्चों की मूर्तियों का भी निरीक्षण किया। जब कहीं काम नहीं बना, तो एक ज़िंदा व्यक्ति की नाक काटकर लगाने का सुझाव दिया।

प्रश्न 6. प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं, जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए ‘फाइलें सब कुछ हज़म कर चुकी हैं।” “सब हुक्कामों ने एक-दूसरे की तरफ़ ताका।’ पाठ में आए
अन्य कथन छाँटकर लिखिए।

उत्तर – पाठ में जगह-जगह ऐसे कथन आए हैं, जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। पाठ में आए ऐसे अन्य कथन निम्नलिखित हैं

(i) इंग्लैंड के अखबारों की कतरनें हिंदुस्तानी अखबारों में दूसरे दिन चिपकी नज़र आती थीं।
(ii) शंख इंग्लैंड में बज रहा था, गूँज हिंदुस्तान में आ रही थी।
(iii) किसी ने किसी से कुछ नहीं कहा, किसी ने किसी को नहीं देखा पर सड़कें जवान हो गई, बुढ़ापे की धूल साफ़ हो गई। इमारतों ने नाज़नीनों की तरह श्रृंगार किया।
(iv) गश्त लगती रही और लाट की नाक चली गई।
(v) सभी सहमत थे कि अगर यह नाक नहीं है, तो हमारी भी नाक नहीं रह जाएगी।
(vi) एक की नज़र ने दूसरे से कहा कि यह बताने की ज़िम्मेदारी तुम्हारी है।
(vii) पुरातत्व विभाग की फ़ाइलों के पेट धीरे गए, पर कुछ भी पता न चला।
(viii) एक खास कमेटी बनाई गई और उसके जिम्मे यह काम दे दिया गया।
(ix) यह छोटा-सा भाषण फ़ौरन अखबारों में छप गया।
(x) विदेशों की सारी चीज़ें हम अपना चुके हैं – दिल-दिमाग, तौर-तरीके और रहन-सहन जब हिंदुस्तान में बाल डॉस तक मिल जाता है, तो पत्थर क्यों नहीं मिल सकता?

प्रश्न 7. नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का दयोतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस प्रकार उभरकर आई है? लिखिए।

उत्तर – नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का दयोतक  है। जॉर्ज पंचम भारत पर विदेशी शासन के प्रतीक हैं। कटी हुई नाक अपमान का प्रतीक है। सच्चे देशवासियों ने कभी भी जॉर्ज पंचम की नीतियों को स्वीकार नहीं किया। रानी एलिज़ाबेथ के आगमन से सभी बड़े-बड़े सरकारी अधिकारी अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध अपना रोष व्यक्त न कर, उनके स्वागत की तैयारियों में जुट गए। उनका मान-सम्मान भारतीय नेताओं, यहाँ तक कि बलिदानी बच्चों से भी अधिक न था। उनकी नाक भारतीयों की नाक से भी छोटी थी, फिर भी सरकारी अधिकारी उनकी नाक बचाने के लिए लगे रहे। लाखों-करोड़ों रुपये बरबाद कर दिए गए। अंत में किसी जीवित व्यक्ति की नाक काटकर जॉर्ज पंचम की नाक पर लगा दी गई। पूरी प्रक्रिया भारतीय जनता के आत्म-सम्मान पर करारी चोट है। केवल दिखावे के लिए या दूसरों को खुश करने के लिए अपनों को नुकसान पहुँचाया गया।

प्रश्न 8. जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है?

उत्तर – जॉर्ज पंचम की लाट पर नई नाक लगाने के प्रयास में भारतीय नेताओं व भारतीय बच्चों की नाक में से चुनकर एक नोक फिट करने की बात उठती है, तो कोई भी नाक फिट नहीं होती। इसका कारण यह है कि भारतीय नेताओं एवं बच्चों की नाक जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी है। इसके माध्यम से लेखक यह संकेत देता है कि भारतीय नेताओं व बलिदानी बच्चों का मान-सम्मान व प्रतिष्ठा जॉर्ज पंचम से बढ़कर है। जॉर्ज पंचम प्रतिष्ठा के मामले में भारतीयों से बहुत पीछे हैं।

प्रश्न 9. अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?

उत्तर – अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को इस प्रकार प्रस्तुत किया-वह दिन आ गया। जॉर्ज पंचम के नाक लग गई। जॉर्ज पंचम को ज़िंदा नाक लगाई गई, यानी ऐसी नाक जो कतई पत्थर की नहीं लगती।

प्रश्न 10. “नई दिल्ली में सब था ….. सिर्फ नाक नहीं थी।”- इस कथन के माध्यम से लेखक कया कहना चाहता है?

उत्तर – इस कथन के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि आज़ाद भारत में सब कुछ था, पर भारतीय अधिकारियों में आत्मसम्मान नहीं था। जॉर्ज पंचम ने भारत तथा भारतीयों के लिए कोई अच्छा काम नहीं किया था, बल्कि उनपर अत्याचार और जुल्म ही किए थे, फिर भी भारतीय अधिकारी अपने आत्मसम्मान को भूल उसकी मूर्ति की नाक को लगाने में जुटे थे।

प्रश्न 11. जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?

उत्तर – अख़बार दिनभर के घटनाक्रम को छापता है, किंतु उस दिन देशभर में कहीं पर भी कोई उद्घाटन, सार्वजनिक सभा, अभिवादन कार्यक्रम या सम्मान-पत्र भेंट करने अथवा हवाई अड्डे या स्टेशन पर स्वागत समारोह होने का समाचार नहीं मिला, तो अखबारों को चुप रहना पड़ा। दरअसल इस प्रकार के कार्यक्रमों में मुख्य भूमिका सत्ताधिकारी ही निभाते हैं। उन्हें भय था कि मूर्तिकार को जॉर्ज पंचम की लाट हेतु जीवित नाक चाहिए, कहीं ऐसा न हो कि उनकी नाक ही नाप वाली निकले, क्योंकि देशभक्तों की नाक तो जॉर्ज पंचम की नाक से लंबी निकली, पर ऐसे सत्ताधारियों और जॉर्ज पंचम में कोई अंतर न था। दोनों ही देश के शुभचिंतक न थे, अत: नाक नाप वाली हो सकती थी। इस भय से उन्होंने समारोहों में भाग ही नहीं लिया। सरकार ने सारा कार्य गुप्त रूप से किया। अपनी खामियों को अखबारों तक पहुँचने ही नहीं दिया। आजाद भारत में विदेशी जॉर्ज पंचम की लाट पर भारतीय सम्मान की बलि चढ़ाना हमारे लिए लज्जा की बात थी। इस शर्मनाक घटना को अखबारों ने एक पंक्ति में छापकर शेष पृष्ठों में मौन धारण करके अपना दुख और क्षोभ प्रकट किया।

Share with Friends

Filed Under: Class 10, NCERT Solutions, हिन्दी

Primary Sidebar

Recent Posts

  • Comet – I, Class 8 English, Chapter 9 Notes
  • Essay on Holi for Kids and Students
  • Jalebis, Class 8 English, Chapter 8 Notes
  • The Open Window, Class 8 English, Chapter 7 Notes
  • The Fight, Class 8 English, Chapter 6 Notes
  • Facebook
  • Pinterest
  • Twitter
  • YouTube

© 2016 - 2023 · Disclaimer · Privacy Policy · About Us · Contact Us