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Home » NCERT Solutions » Class 10 » हिन्दी » NCERT Solutions for Class 10 हिन्दी – क्षितिज – Chapter 14 – एक कहानी यह भी

NCERT Solutions for Class 10 हिन्दी – क्षितिज – Chapter 14 – एक कहानी यह भी

Last Updated on July 3, 2023 By Mrs Shilpi Nagpal

क्षितिज – गद्य खंड – एक कहानी यह भी – मन्नू भंडारी

पेज नम्बर : 100

प्रश्न अभ्यास

प्रश्न 1.  लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा?

उत्तर – लेखिका के व्यक्तित्व पर दो लोगों का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा – एक तो लेखिका के पिता तथा दूसरी उनकी कॉलेज की हिंदी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल। पिता के अनजाने-अनचाहे व्यवहार ने लेखिका के मन में हीन भावना उत्पन्न कर दी। लेखिका काली थीं और उनके पिता जी को गोरे रंग वाले पसंद थे। हीन भावना के कारण लेखिका को अपनी किसी उपलब्धि पर विश्वास नहीं होता था। पिता जी शक्की स्वभाव के थे, इसी कारण लेखिका के व्यक्तित्व में शक्की स्वभाव की झलक दिखाई देती है। बाद में पिता जी लेखिका की राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से बहुत खुश हुए। समय समय पर वे लेखिका को राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते रहे। हिंदी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल ने लेखिका की रुचि उच्च साहित्य की ओर उन्मुख की तथा साहित्य रचनाओं को पढ़ने के लिए प्रेरित किया और उन पर विचार विमर्श भी किया। उन्होंने लेखिका को साहित्य को समझकर परखने की दृष्टि प्रदान की । उन्हें राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया तथा साहसी और निडर बनाया।

प्रश्न 2 . इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को “भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है?

उत्तर – लड़कियों को जिस उम्र में स्कूली शिक्षा के साथ साथ सुघड़ गृहिणी और कुशल पाकशास्त्री बनाने के गुर सिखाए जाते थे, उसी उप्र में लेखिका के पिता चाहते थे कि वे रसोई से दूर ही रहें। वे रसोईघर को “भटियारखाना” कहते थे। उनके अनुसार रसोईघर में रहना अपनी क्षमता और प्रतिभा को भट्टी में झोंकना था। वे मन्‍नू जी को रसोई घर के कार्यों से दूर रखना चाहते थे, ताकि वह आम स्त्री से भिन्‍न होकर अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकें।

 

प्रश्न 3. वह कौन-सी घटना थी, जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर?

उत्तर – एक बार लेखिका के कॉलेज से पत्र आया कि वहाँ की प्रिंसिपल ने लेखिका के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के संबंध में उनके पिता जी को बुलाया है। यह जानकर पिता जी क्रुद्ध हो गए। कॉलेज में जाकर पता चला कि उनकी बेटी सबकी चहेती नेत्री है। सारा कॉलेज उसके इशारों पर चलता है। इसलिए प्रिंसिपल के लिए कॉलेज चलाना मुश्किल हो गया है। पिता जी गर्व से प्रिंसिपल को कहकर आए कि यह तो पूरे देश की पुकार है, इस पर कोई कैसे रोक लगा सकता है? घर आकर पिता जी खुश होकर ये बातें बताते रहे और लेखिका आश्चर्यचकित होकर सुनती रहीं।

प्रश्न 4. लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – वैचारिक भिन्‍नता ही टकराहट का कारण बनती है। लेखिका तथा उनके पिता में वैचारिक मतभेद निम्नलिखित रूपों में था –

(i) लेखिका के पिता अहंकारी, क्रोधी, शक्की तथा सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रति सजग रहने वाले थै। लेखिका उनके व्यक्तित्य की इन खामियों पर झल्लाती थीं।

(ii) वे लेखिका को घर-गृहस्थी के कार्यों से दूर रखकर जागरूक नागरिक बनाना चाहते थे। घर में राजनीतिक जमावड़ों में भाग लेने की सीख देकर उनके भीतर विद्रोह तथा नव-जागृति के स्वर भर चाहते थे, किंतु सक्रिय.” भागीदारी के विरुद्ध थे और लेखिका उनकी सीमित आज़ादी के दायरे पे नहीं रह सकती थीं। इस कारण पिता जी की इच्छा के विरुद्ध जाकर उन्होंने स्वाधीनता आंदोलनो में सक्रिय भागीदारी की।

(iii) विवाह के विषय पर भी पिता-पुत्री के विचार टकराए। पिता उनका विवाह अपनी पसंद के लड़के से करना चाहते थे, किंतु मन्‍नू जी ने राजेंद्र यादव जी से प्रेम-विवाह करके पिता की इच्छा के विरुद्ध जाने का साहस किया।

प्रश्न 5. इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए ।

उत्तर – सन् 1949 के आंदोलन के बाद सारे देश में आजादी के लिए क्रांति की एक लहर चल पड़ी। आत्मकथ्य में सन् 19% से 1947 तक के आंदोलन का वर्णन है। विभिन्‍न राजनीतिक पार्टियों की नीतियाँ, उनके आपसी विरोध या मतभेदों की जानकारी लेखिका को नहीं थी, फिर भी क्रांतिकारियों और देशभक्त शहीदों की कुर्बानियों से लेखिका का मन व्यथित रहता था। सन् 1945 में जैसे ही लेखिका दसवीं पास करके कॉलेज के फर्स्ट ईयर में आई, हिंदी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल से उनका परिचय हुआ। उन्होंने लेखिका को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। सन् 1946-47 में बहुत हलचल थी। सभी भारतीय आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे। प्रभात फेरियाँ, हड़तालें, जुलूस तथा भाषण आदि हर शहर में हो रहे थे। युवा इन सबमें पूरे जोश के साथ शामिल हो रहे थे। लेखिका भी युवा थीं और शीला अग्रवाल की जोशीली बातों ने उनमें जोश भर दिया था। उनके पिता आधुनिक विचारों के होते हुए भी यह बरदाश् नहीं कर पा रहे थे कि लेखिका लड़कों के साथ शहर की सड़कों पर हाथ उठा-उठाकर नारे लगाए, हड़तालें करवाए किंतु लेखिका की रगों में बहते लावे ने सारे निषेधों, सारी कठोरता और सारे भय को चकनाचूर कर दिया था। लेखिका का सारे कॉलेज में भी रौब था। उनके एक इशारे से सब आंदोलन में हिस्सा लेने .. की तैयार हो जाते थे। आज़ाद हिंद फ़ौज के मुकदमे के सिलसिले में लेखिका ने चौपड़ पर भाषण दिया था और डॉ० अंबालाल ने उस भाषण की खूब तारीफ भी की थी।

 

रचना और अभिव्यक्ति

6 . लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली-डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले, किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लड़कियों के लिए स्थिति ऐसी ही हैं या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए।

उत्तर – आज लड़कियों के लिए स्थितियाँ बदल गई हैं। वे घर से बाहर निकलकर लड़कों की तरह ही हर के में आगे बढ़ रही हैं। क्षेत्र चाहे खेल का मैदान हो या विज्ञान का। लड़कियों को हर तरह से सक्षम बाग जा रहा है। वे अपनी रुचि या इच्छानुसार कोई भी विषय ले सकती हैं। कोई भी खेल, खेल सकती हैं। अब वे शिक्षा एवं खेलों के लिए अपने शहर से दूर दूसरे शहरों में या विदेश भी जा सकती हैं।

7. मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्त्व होता है, परन्तु महानगरों में रहने वाले लोग प्रायः ‘पड़ोस कल्चर’ से वंचित रह जाते हैं। इस बारे में अपने विचार लिखिए

उत्तर – महानगरीय लोग अपनी ज़िंदगी खुद जीना चाहते हैं। दूसरों के साथ मिलने: महान -जुलने, खाने पीने बाँटने का न तो उनके पास समय ही है और न इच्छा। मशीनी युग ने उन्हें भावना शून्य कर दया है परिणामस्वरूप वे लोग ‘पड़ोस-कल्चर’ छोड़ने लगे हैं।

भाषा-अध्ययन

10. इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ

(क) इस बीच पिता जी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने घर आकर अच्छी तरह पिता जी की लू उतारी।
(ख) वे तो आग लगाकर चले गए और पिता जी सारे दिन भभकते रहे।
(ग) बस अब यही रह गया है कि लोग घर आकर थू-थू करके चले जाएँ।
(घ) पत्र पढ़ते ही पिता जी आग-बबूला।

उत्तर 

(क) नेता की कथनी व करनी में अंतर देखकर जनता ने अच्छी तरह से उसकी लू उतारी।
(ख) दुष्ट व्यक्ति हर जगह आग लगाता है।
(ग) सरकारी अधिकारी के भ्रष्ट आचरण को देखकर लोग थू-थू करने लगे।
(घ) अपने पुत्र की धृष्टता पर पिता आग-बबूला हो गए।

Filed Under: Class 10, NCERT Solutions, हिन्दी

About Mrs Shilpi Nagpal

Author of this website, Mrs. Shilpi Nagpal is MSc (Hons, Chemistry) and BSc (Hons, Chemistry) from Delhi University, B.Ed. (I. P. University) and has many years of experience in teaching. She has started this educational website with the mindset of spreading free education to everyone.

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