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NCERT Solutions for Class 10 हिन्दी – क्षितिज – Chapter 13 – मानवीय करुणा की दिव्या चमक

Last Updated on July 20, 2021 By Mrs Shilpi Nagpal Leave a Comment

क्षितिज – गद्य खंड

मानवीय करुणा की दिव्या चमक  – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

पेज नम्बर : 88

प्रश्न अभ्यास

प्रश्न 1. फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?

उत्तर – देवदार वृक्ष विशाल तथा छायादार होता है। फ़ादर कामिल बुल्के का व्यक्तित्व भी देवदार की तरह विशाल था। वे सभी पर अपना प्यार लुटाते थे। वृक्ष की तरह, जो भी इनकी शरण में आता, उसे शांति और सुकून देते। वे अपनी मधुरता और आशीर्वादों से सबको भर देते। पारिवारिक उत्सवों और साहित्यिक गोष्ठियों में शामिल होते, तो लगता घर का कोई बड़ा या पुरोहित है। उनके संरक्षण में शांति और सुकून मिलता इसलिए फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती। लेखक के बच्चे के अन्न-प्राशन संस्कार में उपस्थित होकर बच्चे के मुख में अन्न डालते समय नीली आँखों से जो वात्सल्य भाव दर्शाया था, उसे देखकर लेखक को लगा था कि उनके शुभाशीषों तथा स्नेह की छाया देवदार जैसी ठंडी तथा घनी है जिसके तले उनके बच्चे का भविष्य मंगलकारी ही होगा। इन्हीं कारणों से लेखक ने दार्शनिक अंदाज़ में फ़ादर की उपस्थिति को देवदार की छाया जैसी कहा है।

प्रश्न 2. फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्‍न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है?

उत्तर – फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्‍न अंग हैं। विदेशी होते हुए भी उन्हें भारत और भारतीय संस्कृति से बहुत लगाव था। यही कारण था कि वे अपनी जन्मभूमि छोड़ भारत आ गए। पहले धर्माचार की पढ़ाई की। 9-10 वर्ष दार्जिलिंग में पढ़ते रहे। कोलकाता से बी०ए० और फिर इलाहाबाद से एम०ए० किया। सबसे बहुत प्रेम से मिलते थे। सभी के पारिवारिक उत्सवों में शामिल हो कर बड़े भाई तथा पुरोहित की भूमिका अदा करते। ‘परिमल’ जैसी संस्था से जुड़कर साहित्यिक गोष्ठियों में भाग लेते। फ़ादर बुल्के ने अंग्रेजी हिंदी शब्दकोश तैयार करके, बाइबिल का हिंदी अनुवाद करके तथा “रामकथा” पर शोध करके हिंदी भाषा का गौरव बढ़ाया। हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने के लिए प्रयास किए।

प्रश्न 3. पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है।

उत्तर – फ़ादर कामिल बुल्के  हिन्दी प्रेमी थे। हिंदी में ही एम०ए० किया। “रामकथा : उत्पत्ति और विकास” पर अपना शोध-ग्रंथ इन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में रहकर 1950 में पूरा किया। मातरलिंक के प्रसिद्ध नाटक “ब्लू बर्ड’ का रूपांतर हिंदी में ‘नीलपंछी’ के नाम से किया। सेंट जेवियर्स कॉलेज, राँची में हिंदी तथा संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष बने और वहीं उन्होंने अपना प्रसिद्ध अंग्रेजी-हिंदी कोश तैयार किया। बाइबिल का अनुवाद किया। हिंदी वालों द्वारा ही  हिन्दी की उपेक्षा पर उन्हें बहुत दुख होता था। ‘परिमल” जैसी साहित्यिक संस्था की सदस्यता बखूबी निभाई। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

प्रश्न 4. इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – गोरा रंग, नीली आँखें, सफ़ेद झाँई मारती हुई भूरी दाढ़ी, लंबा कद, सफ़ेद चोगे में फ़ादर का व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली प्रतीत होता है। फ़ादर कामिल बुल्के निष्काम कर्मयोगी थे। वे विदेशी होते हुए भी भारतीय संन्यासी की तरह प्रतीत होते थे। उनके हृदय में मानवीय करुणा व वात्सल्य का भाव असीम था। अपने प्रियजनों के लिए उनके मन में अपनत्व व आत्मीयता का भाव था। वे हिंदी के प्रकांड पंडित थे। हिंदी भाषा के प्रचार के लिए वे निरंतर प्रयत्नशील रहे।

प्रश्न 5. लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है?

उत्तर – लेखक ने फ़ादर बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ इसलिए कहा है, क्योंकि उनके हृदय में हर किसी के लिए करुणा का सागर भरा हुआ था। उनके मुख पर एक विशेष प्रकार की चमक रहती थी। वे सबको बाँहें खोल गले लगाने को उत्सुक रहते। वे ममता और अपनेपन की भावना से भरपूर थे। हर किसी से घर-परिवार के बारे में, निजी दुख-तकलीफ के बारे में पूछना उनका स्वभाव था। बड़े-से-बड़े दुख में उनके मुख से सांत्वना के जादू भरे शब्द दुखी जीवन में ऐसी रोशनी भर देते, जो किसी गहरी तपस्या से प्राप्त होती। लेखक की पत्नी और पुत्र की मृत्यु पर फ़ादर द्वारा कहे गए शब्द लेखक को शांति देते थे।

प्रश्न 6. फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नई छवि प्रस्तुत की है, कैसे?

उत्तर – फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नई छवि प्रस्तुत की है। साधारणतः संन्यासी समाज से कटकर अकेले ही अपने संसार को रचते हैं। परंपरागत संन्यासी कर्म नहीं करते, लेकिन फ़ादर कर्मनिष्ठ थे। हिंदी के प्रचार व प्रसार के लिए उन्होंने अनेक कार्य किए तथा ‘सादा जीवन उच्च विचार” वाले आदर्श को अपनाया। वे समाज में रहकर लोगों के पारिवारिक उत्सवों में शामिल होते, उन्हें आशीर्वाद देते। वे किसी को भी दुखी नहीं देख सकते थे। उन्हें कभी क्रोध करते नहीं देखा । सदा दूसरों के लिए करुणा और दया का भाव रहता। उनके व्यक्तित्व में मानवीय करुणा की दिव्य चमक थी। जीवन के अंतिम क्षण तक कर्म में लीन रहे।

प्रश्न 7. आशय स्पष्ट कीजिए
(क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।
(ख) फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।

उत्तर (क) “नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है -लेखक ने ऐसा उस समय कहा, जब फ़ादर बुल्के की देह को कब्र में उतारा जा रहा था। उस समय सभी की आँखें नम थीं। जिस प्रकार स्याही जहाँ-जहाँ फैलती है, सब पर अपना रंग चढ़ा देती है। ठीक उसी प्रकार जिसने भी फ़ादर बुल्के के निधन के बारे में सुना सभी शोक में डूब गए। उन आँखों की गिनती करना संभव नहीं अर्थात्‌ सभी ऐसे महान व्यक्ति के चले जाने पर दुखी थे। शायद फ़ादर ने भी कभी सोचा न होगा।

(ख) फ़ादर बुल्के आज हमारे बीच नहीं है। उनको याद कर सबके मन उदासी से भर जाते हैं। फिर भी उनकी स्मृतियाँ, उनके आशीर्वाद तथा वचन शांत संगीत की तरह सबके मन को शांति पहुँचाते हैं। उनकी वे सब बातें संगीत की तरह गूँजती रहती हैं।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8. आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?

उत्तर – मेरे विचार से फ़ादर बुल्के ने भारत आने का मन इसलिए बनाया होगा, क्योंकि उन्हें भारत तथा भारतीय संस्कृति से गहरा लगाव था। वे भारत आकर भारतीय आदर्शों तथा संस्कृति से गहरे रूप से जुड़ना चाहते थे। वे हिंदी भाषा से बहुत प्रेम करते थे। हिंदी साहित्य तथा हिंदी भाषा को समृद्ध करने के उद्देश्य से ही वे भारत आए। भारत में रहकर ही वे महान कार्य कर सकते थे।

प्रश्न 9. “बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि-रेम्सचैपल ।”–इस पंक्ति मे फ़ादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं? आप अपनी जन्मभूमि के करे में क्या सोचते हैं?

उत्तर – “बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि-रेम्सचैपल | इस पंक्ति से फ़ादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति सच्चे देश-प्रेम की भावना व्यक्त होती है। मनुष्य कहीं भी रहे, अपनी जन्मभूमि से लगाव स्वाभाविक ही है। मैं अपनी जन्मभूमि को श्रेष्ठ समझता हूँ। मैं तन-मन-धन से इसकी रक्षा करूँगा। कोई ऐसा काम नहीं करूँगा, जिससे इस पर कलंक लगे। अपने कार्यो से इसे उच्च उठाऊँगा।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 10. मेरा देश भारत विषय पर 200 शब्दों का निबंध लिखिए।

उत्तर – मेरा देश भारत भारत हमारी मातृभूमि है। हम इसकी कोख से उत्पन्न हुए। इसने हमारा पालन-पोषण किया। पुराने समय में भारत को ‘जम्बूदवीप” कहा जाता था। सात महत्वपूर्ण नदियों के कारण इसे “सप्तसिंधु/ कहा गया। श्रेष्ठ लोगों का वास होने के कारण इसका नाम आर्यावर्त रखा गया। परम भागवत ऋषभदेव के प्रतापी पुत्र भरत के संबंध से ‘भरतखंड’ और फिर ‘भारत’ नाम पड़ा। यह प्रकृति की पुण्यस्थली है। माँ भारती के सिर पर हिमालय मुकुट के समान शोभायमान है। हमारी देश सरितामय है। गंगा और यमुना इसके गले का हार हैं। यहाँ अनेक नदियाँ सतलुज, व्यास, गोमती, गोदावरी इत्यादि अपने अमृत जल से इस देश की धरती की पिपासा शांत करती हैं। यहाँ पर ऋतुओं का आगमन होता है। भारत पर प्रकृति की विशेष कृपा से खनिज पदार्थों की भरमार है। यहाँ अपार धन-संपदा के कारण इसे “सोने की चिड़िया’ कहा जाता है। इसलिए यह देशी-विदेशी आक्रमणकारियों के आकर्षण का केंद्र रहा है। भारत सभ्यता और संस्कृति का आदि स्रोत है। धर्म की जन्मभूमि होने के कारण यह आध्यात्मिक देश है। यहाँ परमात्मा की अमरता, एक अंतर्यामी ईश्वर की सत्ता, प्रकृति और मनुष्य के भीतर एक परमात्मा के दर्शन सर्वप्रथम किए गए। मानव संस्कृति के आदि ग्रंथ ऋग्वेद की रचना इसी देश में हुई। संसार की प्रायः सभी संस्कृतियाँ नष्ट हो चुकी हैं, परंतु भारतीय संस्कृति की धरोहर अभी भी अपना वर्चस्व कायम रखे हुए शीर्ष पर है। संगीत, चित्र, मूर्ति, स्थापत्य आदि कलाओं के क्षेत्र में हमारे देश में आश्चर्यजनक प्रगति कर सबको हैरत में डाल दिया है। संसार गणित और ज्योतिष के लिए भारत का ऋणी है। अरब-राष्ट्रों ने ज्योतिष-विद्या यहीं से सीखी। चीन को ज्योतिष और अंकगणित भारत ने ही सिखाया। गणित में शून्य (0) का सिद्धांत भी भारत ने ही विश्व को पढ़ाया। भारत पर बाह्य आक्रमणकारियों ने कई आक्रमण किए, जिसके परिणाम स्वरूप यह देश मुगलों के अधीन हो गया। जिनमें गुलाम वंश, तुगलक वंश, लोदी वंश इत्यादि प्रमुख हैं। इसके उपरांत अंग्रेजों ने भारतवर्ष पर अपना आधिपत्य जमा लिया। देश की स्वाधीनता के लिए जहाँ कांग्रेस के तत्वाधान में अहिंसात्मक आंदोलन चला, वहीं क्रांतिकारियों नें अंग्रेज शासकों के दिलों में दहशत फैलाई। महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के नाम यहाँ उल्लेखनीय हैं! अंततः 15 अगस्त 1947 को अंग्रेज देश छोड़कर चले गए और जाते-जाते भारत के दो टुकड़े, हिंदुस्तान और पाकिस्तान के रूप में कर गए। 26 जनवरी 1950 को भारत का अपना संविधान बना, भारत गणतंत्र घोषित हुआ। पंडित जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी आदि नेताओं ने इसे विकास का मार्ग दिखाया। मनमोहन सिंह, नरेंद्र मोदी इत्यादि उच्च कोटि के नेताओं के नेतृत्व में भारत आज भी प्रगति की ओर अग्रसर है।

प्रश्न 11.  आपका मित्र हडसन एंड्री ऑस्ट्रेलिया में रहता है। उसे इस बार की गर्मी की छुट्टियों के दौरान भारत के पर्वतीय प्रदेशों के भ्रमण हेतु निमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए।

परीक्षा भवन,
चाँदनी चौक,
नई दिल्‍ली।
6 नवम्बर, 2018
प्रिय मित्र राजकुमार,
स्नेह-स्मृति।

मैं यहाँ कुशल हूँ और आशा करता हूँ कि आस्ट्रेलिया में तुम भी कुशल पूर्वक होंगे। उम्मीद है कि वहाँ तुम्हारी गर्मी की छुट्टियाँ प्रारंभ हो गई होंगी। मेरी छुट्टियां 15 मई से प्रारंभ होंगी। एंड्री! मेरा मन है कि इस बार तुम भारत आ जाओ । हम पंद्रह दिन साथ-साथ बिताएँगे। यहाँ पर बहुत-से पर्वतीय स्थल हैं; जैसे शिमला, मँसूरी, ऊटी इत्यादि। दो-दो दिन के लिए पहाड़ी यात्रा करेंगे! बाकी दिन इकट्ठे रहकर खेलेंगे-कूदेंगे, खाएँगे-पीएँगे। रोज़ सुबह स्विमिंग पूल में जाकर तैराकी का आनंद लेंगे। यहाँ एक सरकारी पुस्तकालय है, जिसमें विभिन्‍न प्रकार की ज्ञानवर्धक पुस्तकें हैं। शेष समय हम रोचक तथा ज्ञानवर्धक साहित्य पढ़ने में लगाएँगे।

पत्र का उत्तर शीघ्र देना। माता जी-पिता जी को मेरी ओर से चरण-बंदना। छोटी बहन को स्नेह। तुम्हारे पत्र की प्रतीक्षा में

तुम्हारा अभिन्न मित्र,
क.ख.ग.

प्रश्न 12. निम्नलिखित वाक्यों में समुध्यवोधक छाँटकर अलग लिखिए

(क) तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते ये1

(ख) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था कि लड़का हाथ से गया।

(ग) वे रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं ये।

(घ) उनके मुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो कि गहरी तपस्था से जनमती है। |

(ड़) पिता और भाइयों के लिए बहुत लगाव मन में नहीं था लेकिन वो स्मृति में अकसर डूब जाते।

उत्तर –

(क) और
(ख)  कि
(ग) तो
(घ) जो
(ड़) लेकिन

Filed Under: Class 10, NCERT Solutions, हिन्दी

About Mrs Shilpi Nagpal

Author of this website, Mrs Shilpi Nagpal is MSc (Hons, Chemistry) and BSc (Hons, Chemistry) from Delhi University, B.Ed (I. P. University) and has many years of experience in teaching. She has started this educational website with the mindset of spreading Free Education to everyone.

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