क्षितिज – गद्य खंड – नेताजी का चश्मा – स्वयं प्रकाश
पेज नम्बर : 64
प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ?
उत्तर – चश्मेवाला न तो सेनानी था, न ही वह नेताजी का साथी था और न आज़ाद हिंद फ़ौज का भूतपूर्व सिपाही । फिर भी लोग उसे ‘कैप्टन’ कहकर बुलाते थे। उसे देशभक््तों से बहुत प्रेम था, क्योंकि, उसके अंदर देशभक्ति की भावना कूट कूटकर भरी हुई थी। वह नेताजी का अधिक सम्मान करता था इसलिए वह बिना चश्मेवाली नेताजी की मूर्ति देखकर दुखी होता था । अतः वह उनकी मूर्ति को बार बार चश्मा पहनाकर उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करता था। लोग उसकी देशभक्ति की भावना को देखकर व्यंग्य रूप में उसे कैप्टन कहकर पुकारते थे।
प्रश्न 2. हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा –
(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
(ग) हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
उत्तर – (क) हालदार साहब को लगा था कि कैप्टन की मृत्यु के बाद अब कस्बे की हृदयस्थली में प्रतिस्थापित सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा की आँखों पर चश्मा नहीं होगा। चश्मे का न होना कोई साधारण-सी बात नहीं थी। इसका सीधा अर्थ था कि कस्बे के लोगों में देशभक्ति की भावना नहीं है तथा जनता में जागरूकता का अभाव है। इसी कारण वे मायूस थे।
(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा उम्मीद जगाता है कि हमारी आनेवाली पीढ़ी में भी देश प्रेम की भावना अभी जीवित है। इस देश के निर्माण में और लोग अपने-अपने तरीके से योगदान देते हैं। बड़े ही नहीं, बच्चे भी इसमें शामिल हैं। देशभक्त कैप्टन मरकर भी उस कस्बे के बच्चों में देशभक्ति का भाव जगा गया।
(ग) प्रतिमा की आँखों पर “’सरकंडे के चश्मे” जैसी “इतनी सी बात” ने यह सिद्ध कर दिया था कि इस कस्बे में अब एक नहीं, अनेक कैप्टन हैं, जो राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्वों से परिचित हैं। बाल कैप्टनों का साहसिक कार्य उन्हें अहसास करवा गया था कि किसी प्रशासनिक अधिकारी या बोर्ड तथा मूर्तिकारों द्वारा सम्मानित व्यक्तियों की प्रतिमाएँ लगवाने तथा बनाने में कमियाँ रह जाने पर देश की भावी पीढ़ी उन प्रतिमाओं को उनके अधूरेपन के साथ कदापि नहीं रहने देगी। यही सोचकर हालदार साहब भावुक हो उठे थे।
प्रश्न 3 . आशय स्पष्ट कीजिए बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गुटस्थीजवानी-जिंदगी सब कुछ होम कर देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।”
उत्तर – हालदार साहब चश्मेवाले की मृत्यु की खबर से भावुक हो गए। वे सोचने लगे उन लोगों का क्या होगा, जो सच्चे देशभक्तों पर हँसते हैं। सच्चे देशभक्त देश के लिए अपनी घर गृहस्थी, युवावस्था, ज़िंदगी आदि सब कुछ न्योछावर कर देते हैं, लेकिन स्वार्थी लोग उनका मज़ाक उड़ाते हैं और स्वयं देश के बारे में बिलकुल नहीं सोचते। लालच में आकर वे अपने को भी बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं। हालदार साहब सोचते हैं जिस देश मे लोग अपनी स्वार्थ सिद्धि तो “येन केन प्रकारेण’ करते हैं पर देश पर सर्वस्व बलिदान कर देने वालों का मज़ाक उड़ाते हैं, उस देश का भविष्य ही नहीं होता।
प्रश्न 4. पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर – कस्बे के चौराहे पर पानवाले की दुकान है। वहाँ हमेशा भीड़ लगी रहती है। पानवाला हमेशा पान खाता रहता है। उसके मुँह में हमेशा पान ठुंसा रहता है। वह काला तथा मोटा है। वह खुशमिजाज़ है। उसकी तोंद निकली हुई है और जब वह हेँसता है तो तोंद थिरकती है। उसके दाँत पान खाने के कारण लाल-काले हैं। कस्बे की सारी जानकारी उसके पास होती थी जिसे वह अपने ग्राहकों को रसीले अंदाज में हास्य तथा व्यंग्य का पुट देकर सुनाता था। कैप्टन को लेंगड़ा तथा पागल कहकर मज़ाक उड़ाने वाला कैप्टन की मृत्यु के पश्चात् उसे याद करते हुए भावुक भी हो उठता है।
प्रश्न 5. “वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!”
कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर – हमें पानवाले का कैप्टन को लँगड़ा तथा पागल कहना अच्छा नहीं लगा, क्योंकि वह सच्चे देशभक्त का मज़ाक उड़ा रहा था। कैप्टन के देश प्रेम को कह उसका पागलपन समझता था। कैप्टन के प्रति उसके मन में आदर प्रेम जैसी कोई भावना नहीं थी। पानवाले दूवारा ऐसी टिप्पणी करना अच्छी बात नहीं । इस दृष्टि से पानवाले का व्यवहार अनुचित लगा। कैप्टन ने चश्मा लगाकर एक तरफ़ नेताजी की मूर्ति को पूर्णता प्रदान की, तो दूसरी तरफ़ कस्बे की कमी पर परदा डाला। ऐसे देशभक्त के हृदयगत भावों की उपेक्षा करके अपने ग्राहकों के सामने पान बेचते हुए बातों के चटपटे मसाले के रूप में कैप्टन के लिए अपशबद कहना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 6. निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं –
(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।
(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के लिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला-साहब! कैप्टन मर गया।
(ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
उत्तर – (क) हालदार साहब सच्चे देशभक्त हैं, नेताजी का आदर सम्मान करते हैं।
(ख) पानवाला, कैप्टन के देश प्रेम को पागलपन समझता है, फिर भी वह कैप्टन की मृत्यु से उदास हो जाता है। इससे पानवाले की भावुकता और उसके अंदर छिपी देशभक्ति का पता चलता है।
(ग) कैप्टन सच्चा देशभक्त था तथा स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करने वाला था।
प्रश्न 7. जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षास् देखा नहीं था तब तक उनके मालस पटल पर उसका कौन-सा चित्न रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर – जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् देखा नहीं था, तब तक वे यही सोचते होंगे कि कैप्टन सेना का भूतपूर्व रिटायर्ड कैप्टन होगा अथवा नेताजी की आज़ाद हिंद फ़ौज में कैप्टन रहा होगा, तभी नेताजी के प्रति उसके मन में इतनी श्रद्धा भक्ति है।
प्रश्न 8. कस्बों, शहरों, सहानगरों के चौराहों पर किसी-न-किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन -सा हो गया है –
(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?
(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों?
(ग) उस भूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?
उत्तर (क) कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने के निम्नलिखित उद्देश्य हो सकते हैं –
(1) नई पीढ़ी को प्रसिद्ध व्यक्तियों के महान योगदान से परिचित करवाया जाए।
(2) बच्चों को भी उनके जैसा बनने की प्रेरणा दी जाए।
(3) महापुरुषों के जीवन की घटनाओं से जनता को अवगत कराया जाए।
(ख) हम अपने इलाके के चौराहे पर डॉ० राजेंद्र प्रसाद जी की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे, क्योंकि डॉ० राजेंद्र प्रसाद सच्चे व्यक्तित्व वाले महापुरुष थे। साधारण नेता से देश के सर्वोच्च *राष्ट्रपति” पद पर आसीन हुए, लेकिन उनके रहन सहन, पहनावे और खान पान में कोई अंतर नहीं आया। वे कर्मनिष्ठ थे, उनकी मूर्ति देखने बाले हर व्यक्ति को हमेशा याद करवाएगी कि जीवन लक्ष्य “सादा जीवन उच्च विचार” होना चाहिए।
(ग) उस मूर्ति के प्रति हमारे एवं दूसरे लोगों के निम्नलिखित उत्तरदायित्व होने चाहिए-
(1) उस मूर्ति की उचित देखभाल होनी चाहिए।
(2) उसकी सफ़ाई का ध्यान रखा जाना चाहिए।
(3) जिस व्यक्ति की मूर्ति है, उसके जीवन से संबंधित कार्यों व प्रेरणादायक प्रसंगों की जानकारी दी जाए।
(4) जिस व्यक्ति की मूर्ति है, उसके जन्मदिन एवं पुण्यतिथि पर कार्यक्रम रखे जाएँ तथा सब लोगों को जानकारी दी जाए।
(5) सभी उस मूर्ति के प्रति श्रदूधाभाव रखें व उसकी गरिमा को बनाए रखें।
(6) समय-समय पर उस मूर्ति पर रंग रोगन किया जाए।
प्रश्न 9. सीमा पर लैनात फ़ौजी ही देश-श्रेम का परियय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी-न-किसी रूप में देश-प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे-सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए।
उत्तर – अपने कर्तव्य को पूरा करते हुए हम अपनी देशभक्ति का परिचय निम्न प्रकार दे सकते हैं –
(1) सार्वजनिक व सरकारी संपत्ति को नुकसान न पहुँचाकर।
(2) अपने आस पास हो रहे अन्याय का विरोध करके।
(3) देश की समृद्धि एवं प्रगति में अपना सहयोग देकर।
(4) सर्वशिक्षा अभियान चलाकर।
(5) देश के सौंदर्य बोध को बढ़ाकर।
(6) बाल श्रमिकों को शोषण से मुक्ति दिलाकर।
(7) नारियों को समान अधिकार व सम्मान देकर।
(8) सरकार की सहायता करके ।
(10) अपना वोट देकर व उचित सरकार चुनकर।
प्रश्न 10. निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए –
कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।
उत्तर – कोई ग्राहक आ गया समझो। उसे चौड़े चौखट वाला चश्मा चाहिए, तो कैप्टन कहाँ से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उधर दूसरा लगा दिया।
प्रश्न 11. “भई खूब! क्या आइडिया है।” इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर – साधारण बोलचाल की भाषा में कई भाषाओं का सम्मिश्रण होता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि प्रचलित शब्द लोगों को जल्दी समझ में आ जाएँ। इस प्रकार के शब्दों के प्रयोग से वाक्य अधिक प्रभावशाली हो जाते हैं, साथ ही दूसरी भाषा के भी कुछ नए शब्दों की जानकारी भी मिल जाती है।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 12. निम्नलिखित वाक्यों से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए –
(क) नगरपालिका थी तो कुछ न कुछ करती भी रहती थी।
(ख) किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।
(ग) यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था।
(घ) हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए।
(ड़) दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरते रहे।
उत्तर – (क) भी – तुम भी कुछ न कुछ करते रहो।
(ख) ही – गोविन्द ही यह काम कर सकता है।
(ग) तो – रमन तो सच नहीं बताएगा।
(घ) भी – तुम अब भी नहीं सुधरना चाहते।
(ड) तक – सौरव ने अपनी शादी की भनक तक न लगने दी।
प्रश्न 13. निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए –
(क) वह अपनी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध गिने-धुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर फिट कर देता है।
(ख) पानवाला नया पान खा रहा था।
(ग) पानवाले ने साफ़ बता दिया या।
(घ ) ड्राइकर ने जोर से ब्रेक मतरे।
(ड़) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्थाग दिया।
(च) हालदार साहब ने चश्मेबाले की देशभक्ति का सम्मान किया।
उत्तर – (क) उसके द्वारा अपनी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की भूर्ति पर फिट कर दिया जाता है।
(ख) पानवाले द्वारा नया पान खाया जा रहा था।
(ग) पानवाले द्वारा साफ़ बता दिया गया था।
(घ ) ड्राइवर द्वारा जोर से ब्रेक मारे गए।
(ड़) नेताजी द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।
(च) हालदार साहब द्वारा चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया गया।
प्रश्न 14. नीचे लिखे बाक्यों को भाववाच्य में बदलिए –
जैसे – अब चलते हैं। → अब चला जाए।
(क) माँ बैठ नहीं सकती। (ख) मैं देख नहीं सकती। |
(ग) चलो, अब सोते हैं। (घ) माँ रो भी नहीं सकती।
उत्तर – (क) माँ से बैठा नहीं जा सकता। (ख) मुझसे देखा नहीं जा सकता।
(ग) चलो, अब सोया जाए। (घ) माँ से रोया भी नहीं जा सकता।
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