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NCERT Solutions for Class 10 हिन्दी – क्षितिज – Chapter 5 – उत्साह और अट नहीं रही है

Last Updated on January 22, 2021 By Mrs Shilpi Nagpal

क्षितिज – काव्य खंड – उत्साह और अट नहीं रही है – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

I –उत्साह पेज नम्बर : 35 प्रश्न अभ्यास

प्रश्न 1. कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है, क्यों?

उत्तर कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है, क्यों? उत्तर कवि के अनुसार बादल क्रांति लाने वाले हैं। क्रांति कभी दबे पाँव नहीं आती। कवि बादल से रिमझिम या बरसने के स्थान पर गरजने के लिए कहता है, क्योंकि कोमलता व मृदु भावों से सभी कार्य संपन्न नहीं होते। निराला एक क्रांतिकारी कवि थे। वे समाज में बदलाव लाना चाहते थे इसलिए जनता में चेतना जागृत करने के लिए और जोश जगाने के लिए कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के लिए न कह ‘गरजने’ के लिए कहा है। गरजना शब्द क्रान्ति, बदलाव, विरोध दर्शाता है। नवीनता लाने के लिए विध्वंस, विप्लव और क्रांति आवश्यक होती है। क्रांति का सुखद परिणाम सबको मिलता है क्योंकि क्रांति नव निर्माण करती है उसी तरह बादल भी नव अंकुर पल्लवित करता है।

प्रश्न 2. कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ क्यों रखा गया है?

उत्तर बादल कवि निराला का प्रिय विषय है। बादलों को देखते ही मन प्रफुल्लित हो उठता है क्योंकि बादल एक ओर तो पीड़ित प्यासे जन की आकांक्षा को पूर्ण करने वाला है, तो दूसरी तरफ़ वही बादल नई कल्पना और नए अंकुर के लिए विध्वंस, विप्लव और क्रांति की चेतना को संभव करने वाला है। बादलों से मन में ‘उत्साह’ उत्पन्न होता है इसलिए कवि ने कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ रखा।

प्रश्न 3. कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?

उत्तर कविता में बादल निम्नलिखित अर्थों की ओर संकेत करता है –

(1) पीड़ित और प्यासे लोगों की इच्छाओं की पूर्ति करने वाले परोपकारी रूप में।
(2) सामाजिक क्रांति लाने वाले कवि के रूप में।
(3) गर्मी से परेशान लोगों को राहत दिलवाने वाले लोक कल्याणकारी रूप में।
(4) नयी कल्पना, नए अंकुर के लिए विध्वंस और क्रांति चेतना को संभव करने वाले के रूप में।

प्रश्न 4. शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। ‘उत्साह’ कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं, जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है, छाँटकर लिखें।
उत्तर ध्वनिवाचक शब्दों के प्रयोग से नाद-सौंदर्य उत्पन्न होता है। कविता में ‘घेर घेर घोर गगन’, ‘धाराधर’, ‘विकल-विकल’, ‘उन्मन थे उन्मन’ जैसे शब्दों का प्रयोग हुआ है, जो नाद-सौंदर्य उत्पन्न करते हैं।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5. जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं, वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही किसी प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए।

उत्तर 
ऊँचे पर्वतों से बहते हुए झरने
क्या कुछ कह जाते, क्या संदेश देते
देखो, इनकी गति कितनी निराली
कितनी सुंदर इनकी शोभा प्यारी
आगे बढ़ते जाते कभी न थकते
हम भी आगे बढ़े कभी न थकें
झरने की तरह गतिशील रहें
यही वरदान हम सब चाहें।

II – अट नहीं रही है

प्रश्न 1. छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए। 

उत्तर छायावाद की एक खास विशेषता है-अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। ‘अट नहीं रही है’ कविता की निम्नलिखित पंक्तियों से उपर्युक्त धारणा की पुष्टि होती है –
(i) ‘आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।

स्पष्टीकरण
– कवि ने फागुन की शोभा का मानव मन के साथ सामंजस्य बैठाया है। फागुन मोहकता मन को उमंगित करती है।

(ii) कहीं साँस लेते हो
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है

स्पष्टीकरण – कवि ने यहाँ तीन स्थितियाँ दर्शायी हैं- साँस लेना, घर-घर भरना, नभ में उड़ने को पर-पर करना । कवि ने इन्हें प्रकृति तथा मानव दोनों के संदर्भ से जोड़कर देखा है। प्रकृति के वायुरूप क्रिया से मानव मन प्रभावित हो रहा है। वह पक्षियों की भाँति उड़ान भरने को व्याकुल है।

(iii) ‘कहीं पड़ी है उर में मंद-गंध-पुष्प-माल।

स्पष्टीकरण
– मनुष्य के गले में पहनी पुष्पमाला की भाँति वृक्षों के हृदय पर भी पुष्प मालाएँ शोभित हो रही हैं।

प्रश्न 2. कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?

उत्तर फागुन मास में प्रकृति में एक नया निखार आ जाता है। इसका सौंदर्य रंग-बिरंगे फूलों, पत्तों व हवाओं में दृष्टिगोचर होता है। फागुन की सुंदरता और उल्लास चारों तरफ़ दिखाई पड़ता है। कवि की आँखें फागुन की सुंदरता से अभिभूत हैं इसलिए वह इस पर से नज़रें हटा नहीं पाता।

प्रश्न 3. प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन सालों में किया है।

उत्तर
प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन निम्नलिमात भाषा में किया है।
  • फागुन मास में प्रकृति के सौंदर्य को भीतर न समाते दिवाकर बाहर जानन करता उसके स्वरूप को व्यापक किया है।
  • समस्त प्रकृति फल-फूलों से लद गई है।
  • सृष्टि का कण-कण उत्साह व उमंग से भर जाता है।
  • सुंदरता की व्यापकता के दर्शन पाहा, पत्ले, फूलों आदि में हो गई है।
  • सर्वत्र सौंदर्य और उल्लास दिखाई पड़ता है।
  • लोगों के तन-मन पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।
  • सारा वातावरण पुष्पित और सुगचित हो जाता है।

प्रश्न 4. फागुन में ऐसा क्या होता है, जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है।

उत्तर फागुन में प्रकृति की शोभा भीतर नहीं समाती, बल्कि बाहर दिखाई दिती है। फागुन की मादकता तन-मन को बाँधने की शक्ति रखती है। वृक्ष पल्लवित-पुष्पित होते हैं इसलिए मान रूपी पक्षी प्रकृति में आत्मसात हो जाना चाहता है। ये विशेषताएँ सामान्यतः अन्य महीनों में देखने को नहीं मिलती।

प्रश्न 5. इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएं लिखिए।

उत्तर कविता में फागुन में छाई मस्ती का चित्रण किया गया है। खड़ी बोली में रचित भाषा में लोकभाषा के शब्द हैं। प्राकृतिक सौंदर्य का सजीव चित्रण है। अंगार रस तथा माधुर्य गुण है। कोमलकांत पदावली का प्रयोग किया गया है। अलंकार योजना अनूठी है। प्रतीकों का सुंदर प्रयोग किया है। मानवीकरण अलंकार का प्रयोग। जैसे- कहीं सांस लेते हो। गीति शैली का प्रभावशाली प्रयोग। कवि ने गीति शैली के अनुसार सरलता तथा संक्षिप्तता का पूरा ध्यान रखा है। संपूर्ण कविता ह्रदय को प्रभावित करती है। कवि काव्य-रचना द्वारा फागुन का सौंदर्य दर्शन में सफल रहा है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न
6. होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।

उत्तर
होली के आसपास प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन दिखाई देते हैं-
(1) सब ओर मस्ती का वातावरण दिखाई देता है।
(2) होली के आस-पास वसंत की बहार छा जाती है।
(3) उद्यान में रंग-बिरंगे पुष्प दिखाई देते हैं।
(4) प्रकृति में चारों ओर हरियाली छा जाती है।
(5) खेतों में गेंहूँ, सरसों की फसलें कटने को तैयार हो जाती हैं। पीली-पीली सरसों की शोभा देखते ही बनती है।

Filed Under: हिन्दी, Class 10, NCERT Solutions

About Mrs Shilpi Nagpal

Author of this website, Mrs Shilpi Nagpal is MSc (Hons, Chemistry) and BSc (Hons, Chemistry) from Delhi University, B.Ed (I. P. University) and has many years of experience in teaching. She has started this educational website with the mindset of spreading Free Education to everyone.

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