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NCERT Solutions for Class 10 हिन्दी – क्षितिज – Chapter 6 – यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

Last Updated on January 20, 2021 By Mrs Shilpi Nagpal

क्षितिज – काव्य खंड – यह दंतुरहित मुस्कान और फसल – नागार्जुन

पेज नम्बर : 41 प्रश्न अभ्यास

प्रश्न 1. बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। कवि उस बच्चे की दंतुरित मुसकान से अंदर तक आह्लादित हो जाता है। उसकी मुस्कान मनभावन है। उसे देखकर कवि को लगता है कि मानो उसके मृतक शरीर में प्राणों का संचार हो गया हो। उसे लगता है कि वह उस बच्चे की सुंदरता को देखकर धन्य हो गया है।कवि के मन में बच्चे की माँ के प्रति कृतज्ञता का भाव उत्पन्न होता है, क्योंकि उसी के माध्यम से वह बच्चे की दंतुरित मुस्कान को देख पाया है। यह मुस्कान कठोर-से-कठोर हृदय को भी पिघला देती है। कवि को लगता है, मानो कमल तालाब छोड़कर उसकी झोंपड़ी में खिल उठे हैं। पत्थर हृदय पिघलकर जलधारा में बदल गया हो और बबूल या बाँस के वृक्षों से शेफालिका के फूल झड़ने लगे हों।

प्रश्न 2. बच्चे की मुस्कान और एक बड़े व्यक्ति की मुस्कान में क्या अंतर है?

उत्तर
बच्चे की मुस्कान और एक बड़े व्यक्ति की मुस्कान में बहुत अंतर होता है। बच्चे की मुस्कान बहुत भोली, सरल व निश्छल होती है, जबकि बड़े व्यक्ति की मुस्कान में दिखावटीपन व स्वार्थ निहित होता है। बड़ों की मुसकान में कई अर्थ छिपे हो सकते हैं। बच्चे की मुस्कान तन-मन में उमंग, उत्साह व नव-जीवन का संचार करती है। बड़ों की मुस्कान रहस्यमयी, कृत्रिम तथा व्यंग्य से भरी भी हो सकती है। बच्चा मुस्कान में भेदभाव नहीं करता, किंतु बड़ा व्यक्ति मुस्कान की मात्रा संबंधों के अनुसार तय करता है। बच्चे के लिए मुस्कान सहज स्वाभाविक क्रिया है, किंतु बड़े के लिए यह शिष्टाचार निभाना मात्र है।

प्रश्न 3. कवि ने बच्चे की मुस्कान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है?

उत्तर कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को व्यक्त करने के लिए प्राणदायी, कमल के फूल इत्यादि बिंबों का प्रयोग किया है, जिसका विस्तारपूर्वक वर्णन इस प्रकार हैं :-

(1) बच्चे की मुस्कान से मृतक में भी जान डाल देने संबंधी बिंब द्वारा।
(2) तालाब छोड़कर झोंपड़ी में कमल के खिलने संबंधी बिंब द्वारा।
(3) कठोर पत्थर पिघल कर जलधारा बनने संबंधी बिंब द्वारा।
(4) बाँस या बबूल के वृक्षों से शेफालिका के फूल झड़ने संबंधी बिंब द्वारा।

प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात।
(ख) छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के बाँस था कि बबूल?

उत्तर
(क) बच्चे के धूल-धूसरित शरीर की तुलना कमल के फूल से की गई है। धूल से सना शरीर ऐसा लगता है, मानों कमल का फूल तालाब में न खिलकर झोंपड़ी में खिल रहा है। कहने का अभिप्राय है – धूल धूसरित बाल तन को देखकर हृदय रूपी कमल खिल उठता है।

(ख) शिशु को छू देने मात्र से आनंद की इतनी अनुभूति होती है, मानों बाँस या बबूल से शेफालिका के फूल झड़ने लगे हों, अर्थात् कठोर, नीरस हृदय भी अबोध बालक के स्पर्श से सरस हो जाता है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5. मुस्कान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव हैं। इनकी उपस्थिति से बने वातावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिए।

उत्तर मुस्कान और क्रोध सर्वथा भिन्न भाव हैं। ‘मुस्कान’ सबका मन मोह लेती है तथा सभी को अपनी तरफ़ आकर्षित कर अपना बना लेती है, जिससे वातावरण सुखद हो जाता है। एक मधुर मुस्कान अनेक कार्य संपन्न कर सकती है। यह मन के सभी मैल मिटा देती है। ‘क्रोध’ मन की उग्रता को दर्शाने वाला भाव है। क्रोध वातावरण को दूषित और बोझिल बना देता है, व्यक्तियों में दूरी पैदा करता है। क्रोधी स्वभाव के व्यक्ति या बच्चों को कोई पसंद नहीं करता।

प्रश्न 6. ‘दंतुरित मुस्कान’ से बच्चे की उम्र का अनुमान लगाइए और तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर बच्चे की उम्र लगभग 5 या 6 महीने की है क्योंकि इसी उम्र में बच्चों के दाँत निकलते हैं। जब उसके ऊपर के या नीचे के दो दाँत निकलते हैं और जब बच्चा हँसता है, तो बहुत सुंदर लगता है। उसकी सुंदरता अद्वितीय हो जाती है। शिशु के सौंदर्य से कठोर हृदय व्यक्ति भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। निर्जीव हृदय में भी जीवन का संचार होने लगता है।

प्रश्न 7. बच्चे से कवि की मुलाकात का जो शब्द-चित्र उपस्थित हुआ है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर कवि और वह बच्चा दोनों एक-दूसरे से पहली बार मिले हैं इसीलिए बच्चा उन्हें एकटक देखता रहता है। बच्चे से मुलाकात कर कवि को जो सुखद अनुभूति हुई, वह उसे कहीं और नहीं मिल सकती। शिशु की दूधिया मुस्कान कवि के नीरस जीवन में प्राणों का संचार करने वाली लगी। कवि को शिशु का धूल-धूसरित शरीर देखकर ऐसा लगा जैसे कमल के फूल तालाब छोड़कर उसकी झोंपड़ी में खिल रहे हों। नन्हे बच्चे के कोमल शरीर को छूने से पत्थर भी जलधारा बन गया हो। कठोर, नीरस और शुष्क लोग भी शेफालिका के फूल के समान झरने (प्रफुल्लित) लगते हैं। बच्चे की मुसकान कवि के हृदय को प्रसन्नता से भर देती है। उन्हें ऐसा लगता है जैसे कमल के फूल तालाब को छोड़कर उसके झोंपड़ें में खिल उठे हैं। उन्हें लगता है कि बच्चा कहीं उन्हें देखते-देखते थक ना जाए इसीलिए वह आँख फेर लेते हैं। अपलक निहारने के कारण बच्चे की आँखें थक न जाएँ इसलिए कवि अपनी आँखें फेरने की अनुमति चाहते हैं। माँ के माध्यम से कवि का परिचय बच्चे से हुआ और वह बच्चे की दंतुरित मुस्कान देख पाया इसलिए वह माँ के प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करता है। लंबे समय से प्रवासी होने के कारण बच्चे से उसका संपर्क नहीं रहा। वह माँ से ही परिचित है क्योंकि माँ ही उस पर ममता लुटाती रही है। कवि से आँखें चार होने पर उसकी दंतुरित मुस्कान और भी सुंदर लगने लगती है।

फ़सल

प्रश्न 1. कवि के अनुसार फ़सल क्या है?

उत्तर कवि नागार्जुन फ़सल को प्रकृति व मनुष्य के श्रम का प्रतिफल मानते हैं। कवि के अनुसार फसल नदियों के पानी का जादू है, हाथों के स्पर्श की महिमा है, मिट्टी का गुण धर्म है सूर्य की किरणों का तेज है और हवा की थिरकन है। फ़सल कोई एक या दो नदियों के जल से नहीं, अपितु अनेकानेक नदियों के जल से उत्पन्न होती है। फ़सल को उगाने में धरती की मिट्टी का गुण-धर्म तथा नदियों का जल अपना-अपना सहयोग देते हैं। सूरज की किरणें तथा वायु की थिरकन इसमें समाई हुई है। साथ ही इसमें किसानों का कठोर परिश्रम भी सम्मिलित है।

प्रश्न2. कविता में फ़सल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?

उत्तर मिट्टी में उपस्थित पोषक, सूर्य की किरणें, पानी, नदियों का जल और हवा, ये सभी फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्व हैं। इनके साथ ही किसानों का कठोर परिश्रम भी उतनी ही जरूरी है।

प्रश्न 3. फ़सल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है?

उत्तर ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ कहकर कवि यह व्यक्त करना चाहता हैं कि फ़सल के फलने-फूलने में एक-दो लोगों का नहीं, अपितु लाखों-करोड़ों लोगों के हाथों का स्पर्श इसे गरिमा प्रदान करता है अर्थात् करोड़ों श्रमिकों के श्रम का परिणाम है-फ़सल । कवि श्रम और श्रमिक को महत्ता प्रदान करना चाहता है इसलिए उनके परिश्रमी हाथों की महानता का गौरवगान गाता है। श्रमिक को कवि महान इसलिए कहता है क्योंकि उन्हीं के श्रम के परिणामस्वरूप उत्पन्न फसल सभी मनुष्यों का पालन-पोषण करती है।

प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!

उत्तर
पंक्तियों का भाव है कि फसल के उगने में सूरज की किरणों अर्थात् ताप तथा हवा की थिरकन अर्थात् आनुपातिक नमी का भी योगदान है। सूरज की किरणों का रूपांतरण ही भोजन के रूप में फ़सल की क्षुधापूर्ति करता है। इसी से वे बढ़ती हैं, विकसित होती हैं। इसी प्रकार हवा के स्पर्श से फ़सलें अपना संकोच त्यागकर फलने-फूलने लगती हैं।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5. कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है-
(क) मिट्टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?
(ख) वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?
(ग) मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?
(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?

उत्तर 
(क) मिट्टी के गुण-धर्म अर्थात उसमें मौजूद प्राकृतिक और पोषक तत्व, खनिज पदार्थ जो मिट्टी का रंग और स्वरूप निश्चित करती है। मिट्टी की अधिक उपजाऊ क्षमता से फसल का उत्पादन भी अधिक होता है।(ख) खेती के समय रासायनिक व कीटनाशक दवाओं के प्रयोग से मिट्टी के गुण-धर्म में लगातार गिरावट आ रही है। ये सब मिलाकर मानव प्राकृतिक नियमों में हस्तक्षेप कर रहा है जिसके दुष्परिणाम भुगतने होंगे। मिट्टी के गुणों के अनुरूप फसल न उगाकर या एक ही प्रकार की फसल बार-बार उगाने से उसकी उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। प्लास्टिक की थैलियाँ तथा विषैले रसायनों को धरती पर गिराने से धरती की सृजनात्मकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वर्तमान जीवन-शैली मिट्टी को प्रदूषित कर रही है। उपयोग में लाए जा रहे हैं अनेक प्रकार के रासायनिक तत्व, उर्वरक, कीटनाशक, प्लास्टिक निर्मित वस्तुएँ मिट्टी के मूल स्वरूप को नष्ट कर रही हैं जिसका नकरात्मक प्रभाव फसल पर भी पड़ रहा है।

(ग) अगर मिट्टी ने अपना गुण-धर्म छोड़ दिया तो धरती से हरियाली का, पेड़-पौधे और फ़सल आदि का नामोनिशान मिट जाएगा। इनके अभाव में धरती पर जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकतीऔर इस कल्पना में भी जीवन का स्वरूप इतना विकृत होगा कि उसे शब्दबद्ध ही नहीं किया जा सकता।

(घ) मिट्टी के गुण-धर्म पोषित करने में हमारी भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो सकती है जैसे सर्वप्रथम हम मिट्टी के गुण-धर्म को जाने और उसकी जानकारी अपने से जुड़े लोगों की भी दें। हम मिट्टी को वृक्षारोपण कर, प्लास्टिक की वस्तुओं का उपयोग बंद कर, कारखानों को सीमित कर, रासायनिक तत्वों का उपयोग काम कर हम मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित कर सकते हैं।

Filed Under: हिन्दी, Class 10, NCERT Solutions

About Mrs Shilpi Nagpal

Author of this website, Mrs Shilpi Nagpal is MSc (Hons, Chemistry) and BSc (Hons, Chemistry) from Delhi University, B.Ed (I. P. University) and has many years of experience in teaching. She has started this educational website with the mindset of spreading Free Education to everyone.

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