क्षितिज – काव्य खंड – सवैया, कवित्त – देव
पेज नम्बर : 23 प्रश्न अभ्यास
प्रश्न1. कवि ने ‘श्रीब्रजदूलह’ किसके लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक क्यों कहा है।
उत्तर कवि ने ‘श्रीब्रजदूलह’ किसके लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक क्यों कहा है, कवि ने ‘श्रीब्रजदूलह’ श्री कृष्ण के लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक इसलिए कहा है, क्योंकि श्री कृष्ण मंदिर के दीपक के समान अपने तेज़ से संसार रूपी मंदिर में प्रकाश भरते हैं उनके ज्ञान रूपी प्रकाश से मार्ग-दर्शन पाकर ही सांसारिक लोग कर्मपथ पर अग्रसर होते हैं। जिस तरह एक दीपक पूरे मंदिर को रोशन कर देता है उसी तरह कृष्ण पूरे संसार को रोशन कर देते हैं। इसलिए उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक कहा गया है।
प्रश्न 2. पहले सवैये में से उन पंक्तियों को छाँटकर लिखिए, जिनमें अनुप्रास और रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है ?
उत्तर
अनुप्रास अलंकार –
(i) कटि किंकिन कै धुनि की मधुराई।
(ii) साँवरे अंग लसै पट पीत।
(iii) हिय हुलसै बनमाल सुहाई।
रूपक अलंकार-
(i) मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई।
(ii) जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर।
प्रश्न 3. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
उत्तर – श्री कृष्ण के पैरों में घुघरू हैं, जो मधुर आवाज़ में बज रहे हैं। उनकी कमर में करधनी बँधी हुई है, जिसकी धुन भी मधुर है। उनके साँवले अंगों पर पीले वस्त्र शोभायमान हो रहे हैं, गले में बनमाल शोभित है। कृष्ण का रूप अत्यंत सुंदर तथा मनमोहक है। श्री कृष्ण की वेशभूषा व उनके शारीरिक सौंदर्य का वर्णन है। ब्रजभाषा का माधुर्य पूरे काव्यांश में छलकता प्रतीत होता है। काव्यांश सवैया छंद में रचित है। ‘कटि किंकिनि कै’, ‘पट-पीत’, ‘हिये हुलसै’ आदि में अनुप्रास अलंकार है। नूपुर और कटि किंकिन की ध्वनि में नाद-सौंदर्य है। माधुर्य गुण की मधुरता का प्रसार है। चित्रात्मक शैली का सौंदर्य है। तत्सम शब्दावली का सुंदर प्रयोग है।
प्रश्न 4. दूसरे कवित्त के आधार पर स्पष्ट करें कि ऋतुराज वसंत के बाल-रूप का वर्णन परंपरागत वसंत वर्णन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर – परंपरागत वसंत वर्णन में बाग-बगीचों की हरियाली, खिले फूलों का सौंदर्य, कोयल का मधुर गीत, मोर का नाचना, बागों में झूले पड़ना आदि मनोहारी वर्णन होते हैं, परंतु यहाँ कवि ने वसंत की सुंदरता को कामदेव के बालक के रूप में, डालियों का पालना, नए पत्तों का बिछौना, पुष्प रूपी झबला, कमल की कली द्वारा नज़र उतारना, गुलाब का चुटकी बजा नन्हें शिशु को जगाना आदि परंपरागत वर्णन से भिन्न है। वसंत कामदेव रूपी राजा का राजकुमार है अतः सारी प्रकृति पलक-पाँवड़े बिछाए स्वागत के लिए तत्पर है। इस वर्णन के आधार पर कहा जा सकता है कि बाल रूप का वर्णन परंपरागत वसंत वर्णन से भिन्न है।
प्रश्न 5. ‘प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै’-इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – प्रातःकाल वसंत रूपी बालक को निद्रा से जगाने के लिए गुलाब चुटकी बजाकर खिल उठता है अर्थात् में प्रातःकाल जब गुलाब खिलता है, तो ऐसा लगता है, मानो चटककर सारी प्रकृति को जगा रहा है। जैसे माँ कोमल स्पर्श व चुटकी बजा बच्चे को उठाती है, वैसे ही वसंत की शोभा कोमल फूलों व प्रकृति की सुंदरता से है।
प्रश्न 6. चाँदनी रात की सुंदरता को कवि ने किन-किन रूपों में देखा है?
उत्तर – कवि ने चाँदनी रात की सुंदरता को अनेक रूपों में देखा है, जैसे –
• स्वच्छ सुधामयी चाँदनी चारों तरफ़ इस तरह फैली हुई है, जैसे स्फटिक की शिलाओं से कोई सुंदर मंदिर बनाया गया हो।
• दही का समुद्र अधिक तीव्रता से उमड़ रहा हो।
• आँगन के फर्श पर दूध के पारदर्शी झाग फैले हुए
• नायिका के रूप में जो तारों से सुसज्जित है।
• अंबर रूपी दर्पण के रूप में।
प्रश्न 7. ‘प्यारी राधिका को प्रतिबिंब सो लगत चंद’-इस पंक्ति का भाव स्पष्ट करते हुए बताएँ कि इसमें कौन- सा अलंकार है?
प्रश्न 8. तीसरे कवित्त के आधार पर बताइए कि कवि ने चाँदनी रात की उज्ज्वलता का वर्णन करने के लिए किन-किन उपमानों का प्रयोग किया है?
उत्तर कवि ने चाँदनी रात की उज्ज्वलता का वर्णन करने के लिए निम्नलिखित उपमानों का प्रयोग किया है-
(v) अंबर का आईने के समान चमकना।
प्रश्न 9. पठित कविताओं के आधार पर कवि देव की काव्यगत विशेषताएँ बताइए।
उत्तर
देव की काव्यगत विशेषताएँ-
(i) प्राकृतिक-सौंदर्य का चित्रण बहुत अच्छे ढंग से किया है।
(ii) कोमल ब्रजभाषा का प्रयोग है। भाषा में सरसता, मधुरता और चित्रात्मकता के गुण हैं।
(ii) अनेक अलंकारों का प्रयोग है। अनुप्रास, रूपक, उत्प्रेक्षा, उपमा, व्यतिरेक अलंकार उनके काव्य में मुख्य रूप से उभरकर सामने आते हैं।
(iv) चित्रात्मक-वर्णन तथा अनूठी कल्पना-शक्ति का प्रयोग है।
(v) परंपरा से हट कर वसंत का शिशु रूप में चित्रण है।
(vi) भाषा भावानुरूप, प्रवाहमयी तथा चित्रात्मक है।
(vii) कवित्त, सवैया छंद अपनाया गया है।
वस्तुतः देव की नज़र सौंदर्य तथा वैभव पर ही टिकी रही। जीवन के दुखद पक्षों को टटोलने का अवकाश उनकी लेखनी के पास नहीं था।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 10. आप अपने घर की छत से पूर्णिमा की रात देखिए तथा उसके सौंदर्य को अपनी कलम से शब्दबद्ध कीजिए।
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