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Home » NCERT Solutions » Class 10 » हिन्दी » NCERT Solutions for Class 10 हिन्दी – क्षितिज – Chapter 1 – पद

NCERT Solutions for Class 10 हिन्दी – क्षितिज – Chapter 1 – पद

Last Updated on July 3, 2023 By Mrs Shilpi Nagpal

क्षितिज – काव्य खंड – पद- सूरदास

पेज नम्बर : 7  प्रश्न अभ्यास

प्रश्न 1. गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?

उत्तर – गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहकर वास्तव में उसके दुर्भाग्य पर व्यंग्य किया गया है। जो व्यक्ति प्रेम के साथ, श्रीकृष्ण के समीप रहकर भी प्रेम रूपी जल को प्राप्त नहीं कर सकता, वह वास्तव में दुर्भाग्यशाली ही होगा। गोपियाँ प्रत्यक्ष रूप से उद्धव को भाग्यशाली कहकर प्रशंसा करती हैं, पर प्रेम के आनंद से वंचित उद्धव निपट अभागे हैं, क्योंकि वे श्री कृष्ण के सान्निध्य में रहकर भी उनके प्रेम से वंचित हैं। उनके कहने का अभिप्राय यह है कि उद्धव के हृदय में प्रेम जैसी पावन भावना का संचार नहीं है, इसलिए वे भाग्यवान नहीं अपितु भाग्यहीन हैं।

प्रश्न
2. उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किससे की गई है?

उत्तर
– उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते और तेल की मटकी से करते हुए गोपियाँ कहती हैं कि जिस प्रकार कमल का पत्ता जल में ही रहता है, फिर भी उस पर पानी का धब्बा तक नहीं लग पाता, उसी प्रकार तेल की मटकी को पानी में रखने पर उस पर जल की एक बूंद तक नहीं ठहर पाती, ठीक वैसे ही उद्धव कृष्ण के समीप रहते हुए भी उनके रूप के आकर्षण तथा प्रेम-बंधन से सर्वथा मुक्त हैं।

प्रश्न 3. गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?

उत्तर
– गोपियों ने निम्नलिखित उदाहरणों द्वारा उद्धव को उलाहने दिए हैं :-

वे कहती हैं कि हे उद्धव! हमारी प्रेम भावना हमारे मन में ही रह गई है। हम तो कृष्ण को अपने मन की प्रेम-भावना बताना चाहती थी किंतु उनका यह योग का संदेश सुनकर ही हम उन्हें कुछ भी नहीं बता सकतीं। हम तो श्रीकृष्ण के लौट आने की आशा में जीवित हैं। हमें उम्मीद है कि श्रीकृष्ण अवश्य ही एक न एक दिन लौट आएँगे, किंतु उनका यह संदेश सुनकर हमारी आशा ही नष्ट हो गई है, और हमारे विरह की आग और भी भड़क उठी है । इससे तो अच्छा था कि उद्धव आते ही नहीं। गोपियों को यह भी आशा थी कि श्रीकृष्ण प्रेम की मर्यादा का पालन करेंगे। वे उनके प्रेम के प्रतिदान में प्रेम देंगे। किंतु उन्होंने निर्गुणोपासना का संदेश भेजकर प्रेम की सारी मर्यादा को तोड़ डाला। इस प्रकार वह मर्यादाहीन बन गया है।

प्रश्न 4. उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?

उत्तर – गोपियाँ कृष्ण के वियोग में विरहाकुल थीं। वे अपनी व्यथा को यह मानकर झेल रही थी कि उनके परम प्रिय श्रीकृष्ण जल्द ही वापस लौट आएँगे। परंतु जब उनके स्थान पर योग के संदेश के साथ उद्धव आए तो उनकी विरह की अग्नि और भी भड़क उठी। उद्धव के योग संदेश ने उनकी विरहागिन में घी का काम किया।

प्रश्न 5. ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?

उत्तर – गोपियाँ अभी तक कृष्ण की प्रतीक्षा मर्यादा रहकर कर रही थीं। परंतु उद्धव का योग संदेश के साथ आगमन ने गोपियों को सभी मर्यादाओं को तोड़ दिया। अर्थात गोपियाँ अब अपनी सभी सीमाएँ तोड़कर उद्धव से सवाल जवाब करती है और कृष्ण को भला-बुरा कहती हैं।

प्रश्न 6. कृष्णा के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है ?

उत्तर – गोपियों के हृदय में श्रीकृष्ण के प्रति अगाध प्रेम था। उन्हें तो सिवाय श्रीकृष्ण के और कुछ सूझता ही नहीं था। वे तो उनके रूप-माधुर्य में इस प्रकार उलझी हुई थीं जिस प्रकार गुड़ पर चींटी आसक्त होती है। जब एक बार चींटी गुड़ चिपक जाती है तो फिर वहाँ से कभी-भी नहीं छूट पाती। वह उसके लगाव में अपना जीवन वहीं त्याग देती है। गोपियों को तो ऐसा प्रतीत होता था कि उनका मन श्री कृष्ण के साथ मथुरा चला गया है। वे तो हारिल पक्षी के समान मन, वचन, कर्म से उनसे जुड़ी हुईं थीं। उनके प्रेम की अनन्यता ऐसी थी कि रात दिन सोते जागते श्रीकृष्ण को ही याद करती थी।

प्रश्न 7. गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?

उत्तर – गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा वैसे लोगों को देने की बात कही जिनका मन चकरी की तरह घूमता रहता है। अर्थात जिनका मन स्थिर नहीं है।

प्रश्न 8. प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – गोपियाँ योग साधना को जीवन में नीरसता और निष्ठुरता लाने वाला मानती हैं। योग-ज्ञान का रास्ता अग्नि के समान जलने वाला तथा घोर दुख देने वाला है। योग-साधना को अपनाने की बातें उनकी विरहाग्नि को और अधिक बढ़ा देती है। योग-साधना उन्हें एक कड़वी-ककड़ी के समान अग्रहणीय लगती है। योग-साधना उन्हें एक ऐसे रोग के समान लगती है जिसे उन्होंने न तो पहले कभी देखा, न सुना और न ही कभी भोगा।

प्रश्न 9. गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?

उत्तर –
 गोपियों के अनुसार राजा का धर्म यह है कि वह प्रजा को किसी भी तरह का कष्ट नहीं होने दे व उनकी रक्षा करे। वह कभी भी अपनी प्रजा को सताए नहीं।

प्रश्न 10. गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?

उत्तर –
 गोपियाँ मानती हैं कि कृष्ण ने राजनीति में पूरी दक्षता प्राप्त कर ली है इसीलिए उद्धव के माध्यम से योग-साधना का संदेश भेजा है। वे इतने चतुर हैं कि पहले तो अपने प्रेम-जाल में फंसा लिया और अब योग-शास्त्र का अध्ययन करने को कह रहे हैं। यह उनकी बुद्धि और विवेक का ही परिचय है कि उन्होंने उन अबलाओं को योग के कठिन रास्ते पर चलने का संदेश दिया है। कृष्ण भले नहीं हैं। भले लोग तो भलाई के लिए इधर-उधर भागते फिरते हैं। कृष्ण दूसरों को तो अन्यायपूर्ण कार्य करने से रोकते हैं और स्वयं अन्यायपूर्ण आचरण करते हैं। इन्हीं परिवर्तनों के कारण गोपियाँ कृष्ण से अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं।

प्रश्न 11. गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर –
‘भ्रमरगीत’ के माध्यम से सूरदास ने गोपियों के मन की व्यथा को साकार किया है। यहाँ जब उद्धव गोपियों को ज्ञान और योग का उपदेश देते हैं तब गोपियों की यही स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है कि वे श्रीकृष्ण के रंग में रंगी हैं, उन्हें योग और साधना नहीं चाहिए। उनके वाक्चातुर्य में हास्य और व्यंग्य का पुट है। उद्धव गोपियों को निर्गुण ब्रह्म का पाठ पढ़ाते हैं तो गोपियाँ तीखे व्यंग्य का प्रयोग करती हैं। निर्गुण ब्रह्म की जगह श्रीकृष्ण की श्रेष्ठता और महानता को सिद्ध करती है। उद्धव के ज्ञान और योग का गोपियों ने उपहास उड़ाया है। इसके दो कारण हैं – एक तो वे श्रीकृष्ण के मित्र हैं और दूसरे यह कि उद्धव प्रेम की पीर से सर्वथा अनभिज्ञ हैं।

प्रश्न 12. संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए।

उत्तर –
 सूरदास के भ्रमरगीत की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. गोपियाँ ऊधौ के सामने खुलकर अपनी उलाहना प्रकट करती हैं।
2. इसमें ब्रजभाषा की कोमलता, मधुरता और सरसता के दर्शन होते हैं।
3. इनकी भाषा अलंकार- युक्त है। उनका प्रयोग स्वाभाविक है। कहीं-कहीं अलंकार नहीं के बराबर है तो भी सरसता में कोई कमी नहीं आई है।
4. भ्रमरगीत में व्यंग्य, कटाक्ष, उलाहना, निराशा, प्रार्थना, गुहार आदि अनेक मनोभाव तीखे तेवरों के साथ प्रकट हुए हैं।
5. इसमें कृष्ण के ज्ञानी मित्र उद्धव को निरुत्तर, मौन और भौचक्का-सा दिखाया गया है।
6. इसमें गोपियों का निर्मल कृष्ण-प्रेम प्रकट हुआ है। वे कृष्ण की दीवानी हैं।
7. गोपियाँ गाँव की चंचल, अल्हड़ और वाक् चतुर बालाएँ हैं। वे चुपचाप आँसू बहाने वाली नहीं हैं, अपितु अपने भोले-निश्छल तर्कों से सामने वाले को परास्त करने की क्षमता रखती हैं।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 13. गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं, आप अपनी कल्पना से और तर्क दीजिए। 

उत्तर – गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं, हम अपनी कल्पना से और तर्क दे सकते हैं, जैसे-

(i) कृष्ण पर अपने मित्र उद्धव का गहरा प्रभाव पड़ा, इसलिए वे प्रेम के स्थान पर योग की बातें करने लगे।
(ii) कृष्ण का प्रेम एकनिष्ठ नहीं है। वे भौरे की तरह हैं, जहाँ रस देखा, वहीं ठहर गए।
(iii) निर्गुण ब्रह्म की उपासना हम गोपियों के लिए असंभव है।
(iv) कृष्ण का प्रेम अब हमारे प्रति नहीं है। वे तो कुब्जा के वश में हैं।

प्रश्न 14. उद्धव ज्ञानी थे, नीति की बातें जानते थे; गोपियों के पास ऐसी कौन-सी शक्ति थी जो उनके वाक्चातुर्य में मुखरित हो उठी?

उत्तर –  उद्धव ज्ञानी थे। वे नीति की बातें जानते थे इसलिए वे ज्ञान की बातों से गोपियों को प्रभावित कर सकते थे, पर गोपियों के पास श्री कृष्ण के प्रेम की शक्ति थी, जो उनके वाक्चातुर्य में मुखरित हो उठी। श्रीकृष्ण के प्रति गोपियों की एकनिष्ठा तथा दृढ़-विश्वास था, तभी वे भिन्न-भिन्न तर्क देकर उद्धव को परास्त कर सकीं।

प्रश्न 15. गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नज़र आता है, स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – गोपियों के अनुसार श्री कृष्ण जब ब्रज में रहते थे, तब वे अपने मित्र ग्वाल-बाल व गोपियों से मिलते थे, लेकिन जब से वे मथुरा गए हैं, तब से राज-काज को सँभालने के कारण उन्होंने राजनीति के सभी दाव-पेंच सीख लिए हैं। उद्धव द्वारा योग-संदेश भेजना भी उनकी कूट राजनीति का एक अंग है। अब उनका आचरण राजनीतिज्ञों जैसा छलपूर्ण हो गया है। आज के राजनेताओं की कथनी व करनी में पर्याप्त अंतर है। वे अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए जनता को झूठे आश्वासन देते हैं। उनका कपटपूर्ण व्यवहार जनता को भ्रमित कर देता है।

Filed Under: Class 10, NCERT Solutions, हिन्दी

About Mrs Shilpi Nagpal

Author of this website, Mrs. Shilpi Nagpal is MSc (Hons, Chemistry) and BSc (Hons, Chemistry) from Delhi University, B.Ed. (I. P. University) and has many years of experience in teaching. She has started this educational website with the mindset of spreading free education to everyone.

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