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पाठ की रूपरेखा
लेखक-परिचय
पाठ का सार
हालदार साहब द्वारा कस्बे से गुज़रते हुए मूर्ति को देखना
हालदार साहब जब पहली बार इस मूर्ति को देखा तो उन्हें लगा कि इसे नगरपालिका के किसी उत्साही अधिकारी ने बहुत जल्दबाज़ी में लगवाया होगा। हो सकता है मूर्ति को बनवाने में काफ़ी समय पत्र-व्यवहार आदि में लग गया होगा और बाद में कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के इकलौते ड्राइंग मास्टर को यह कार्य सौंप दिया गया होगा, जिन्होंने इस कार्य को महीने भर में पूरा करने का विश्वास दिलाया होगा। मूर्ति संगमरमर की बनी थी और उसकी विशेषता यह थी कि उसका चश्मा सचमुच का था। हालदार साहब को मूर्ति बनाने वालों का यह नया विचार बहुत पसंद आया।
मूर्ति के बदलते चश्मे का कारण
मूर्ति पर चश्मा नहीं होने का कारण
शब्दार्थ
सिलसिला-क्रम | एक ठो -एक | सम्मेलन -सभा | उपलब्ध बजट-खर्च करने के लिए प्राप्त धन |
ऊहापोह-अनिश्चय की स्थिति में मन में उत्पन्न होने वाला तर्क -वितर्क | स्थानीय -उसी क्षेत्र में रहने वाला | पटक देना -जल्दी बनाकर दे देना | बस्ट-वक्ष तक के भाग की बनाई गई आकृति/मूर्ति |
प्रतिमा-मूर्ति | कमसिन-कम उम्र | खटकना-बुरा लगना | कौतुक भरी -उत्सुकता से भरी |
चिट॒ठी-पत्री-पत्र-व्यवहार | लक्षित किया -देखा | कौतुक भरी -उत्सुकता से भरी | दुर्दमनीय -जिसे दबाया न जा सके |
खुशमिज़ाज़ -अच्छे स्वभाव वाला/प्रसन्नचित्त | किदर-किधर | आहत-दु:खी | गिराक-ग्राहक |
दरकार -आवश्यकता | ओरिजिनल -मूल | द्रवित करने वाली -पिघलाने वाली | पारदर्शी -जिसके आर-पार देखा जा सके |
नतमस्तक -विनीत भाव से सिर झुकाना | भूतपूर्व-पहले का | प्रफुल्लता -खुशी | कौम -जाति |
अवाक् रह जाना -आश्चर्यचकित रह जाना | होम करना -सब कुछ लुटा देना | हृदयस्थली -बीच में स्थित प्रमुख स्थान | प्रतिष्ठापित-स्थापित |
अटेंशन -सावधान की मुद्रा में | भावुक -भावों के वशीभूत होने वाला |
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