क्षितिज – काव्य खंड – उत्साह और अट नहीं रही है – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
I –उत्साह पेज नम्बर : 35 प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1. कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है, क्यों?
प्रश्न 2. कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ क्यों रखा गया है?
उत्तर बादल कवि निराला का प्रिय विषय है। बादलों को देखते ही मन प्रफुल्लित हो उठता है क्योंकि बादल एक ओर तो पीड़ित प्यासे जन की आकांक्षा को पूर्ण करने वाला है, तो दूसरी तरफ़ वही बादल नई कल्पना और नए अंकुर के लिए विध्वंस, विप्लव और क्रांति की चेतना को संभव करने वाला है। बादलों से मन में ‘उत्साह’ उत्पन्न होता है इसलिए कवि ने कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ रखा।
प्रश्न 3. कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
उत्तर कविता में बादल निम्नलिखित अर्थों की ओर संकेत करता है –
प्रश्न 4. शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। ‘उत्साह’ कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं, जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है, छाँटकर लिखें।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 5. जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं, वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही किसी प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए।
उत्तर ऊँचे पर्वतों से बहते हुए झरने
यही वरदान हम सब चाहें।
II – अट नहीं रही है
प्रश्न 1. छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।
स्पष्टीकरण – कवि ने फागुन की शोभा का मानव मन के साथ सामंजस्य बैठाया है। फागुन मोहकता मन को उमंगित करती है।
हट नहीं रही है
स्पष्टीकरण – कवि ने यहाँ तीन स्थितियाँ दर्शायी हैं- साँस लेना, घर-घर भरना, नभ में उड़ने को पर-पर करना । कवि ने इन्हें प्रकृति तथा मानव दोनों के संदर्भ से जोड़कर देखा है। प्रकृति के वायुरूप क्रिया से मानव मन प्रभावित हो रहा है। वह पक्षियों की भाँति उड़ान भरने को व्याकुल है।
स्पष्टीकरण – मनुष्य के गले में पहनी पुष्पमाला की भाँति वृक्षों के हृदय पर भी पुष्प मालाएँ शोभित हो रही हैं।
प्रश्न 2. कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
उत्तर फागुन मास में प्रकृति में एक नया निखार आ जाता है। इसका सौंदर्य रंग-बिरंगे फूलों, पत्तों व हवाओं में दृष्टिगोचर होता है। फागुन की सुंदरता और उल्लास चारों तरफ़ दिखाई पड़ता है। कवि की आँखें फागुन की सुंदरता से अभिभूत हैं इसलिए वह इस पर से नज़रें हटा नहीं पाता।
प्रश्न 3. प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन सालों में किया है।
उत्तर प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन निम्नलिमात भाषा में किया है।
- फागुन मास में प्रकृति के सौंदर्य को भीतर न समाते दिवाकर बाहर जानन करता उसके स्वरूप को व्यापक किया है।
- समस्त प्रकृति फल-फूलों से लद गई है।
- सृष्टि का कण-कण उत्साह व उमंग से भर जाता है।
- सुंदरता की व्यापकता के दर्शन पाहा, पत्ले, फूलों आदि में हो गई है।
- सर्वत्र सौंदर्य और उल्लास दिखाई पड़ता है।
- लोगों के तन-मन पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।
- सारा वातावरण पुष्पित और सुगचित हो जाता है।
प्रश्न 4. फागुन में ऐसा क्या होता है, जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है।
उत्तर फागुन में प्रकृति की शोभा भीतर नहीं समाती, बल्कि बाहर दिखाई दिती है। फागुन की मादकता तन-मन को बाँधने की शक्ति रखती है। वृक्ष पल्लवित-पुष्पित होते हैं इसलिए मान रूपी पक्षी प्रकृति में आत्मसात हो जाना चाहता है। ये विशेषताएँ सामान्यतः अन्य महीनों में देखने को नहीं मिलती।
प्रश्न 5. इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएं लिखिए।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 6. होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर होली के आसपास प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन दिखाई देते हैं-
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